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जबलपुर

मप्र सरकार का बड़ा फैसला, इस सप्ताह इन दबंगों माफियाओं का टूटेगा तिलिस्म, लिस्ट तैयार

मप्र सरकार का बड़ा फैसला, इस सप्ताह इन दबंगों माफियाओं का टूटेगा तिलिस्म, लिस्ट तैयार
 

जबलपुरDec 01, 2020 / 10:39 am

Lalit kostha

Anti-encroachment campaign

नगर निगम के अतिक्रमण विरोधी अभियान के तहत ध्वस्त होता बाहुबली रज्जाक पहलवान का सपना

जबलपुर। कांग्रेस नेता और जुआफड़ संचालक गजेंद्र सोनकर और रज्जाक पहलवान के खिलाफ माफिया विरोधी अभियान के तहत हुई कार्रवाई अब और जोर पकड़ेगी। जिला प्रशासन ने बड़ी लिस्ट तैयार की है। इसमें कुछ माफिया और सरकारी जमीन पर कब्जा और अवैध निर्माण करने वाले शामिल हैं। इसी सप्ताह उन पर कार्रवाई हो सकती है। इसकी तैयारियां प्रशासनिक स्तर पर की जा रही हैं। इसमें कुछ नाम वे भी हैं, जिनकी शिकायत कांग्रेस के शासन के समय की गई थी।

माफिया विरोधी अभियान : इस सप्ताह हो सकती हैं कई बड़ी कार्रवाई
माफिया दमन दल के पास तमाम शिकायतें आई थीं। उनमें कुछ पर कार्रवाई हुई थी, लेकिन ज्यादातर बची थीं। अब उनमें से भी कुछ प्रकरणों को लेकर माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई की जा रही हैं। सूत्रों ने बताया कि कुछ दिनों में बड़ी कार्रवाई को प्रशासन, पुलिस और नगर निगम की टीमें अंजाम देंगी।
कई तरह के माफियाओं के नाम: जिला प्रशासन ने जो लिस्ट बनाई है, उसमें भूमाफिया और अवैध निर्माण व कब्जा करने वालों के साथ सूदखोरी, जुआ-सट्टा, मिलावट करने वाले भी शामिल हैं। सूत्रों ने बताया कि सबसे ज्यादा मामले रांझी और अधारताल के अलावा गोरखपुर तहसील के अंतर्गत हैं। इन्हीं तहसीलों के अंतर्गत नगर निगम एवं शहरी क्षेत्र आता है।

 

encroachment on forest land
IMAGE CREDIT: patrika

अभी तक साधा दो पर निशाना : जिला प्रशाासन, पुलिस और नगर निगम की संयुक्त टीम ने अभी तक गज्जू सोनकर और रज्जाक पहलवान के अवैध निर्माण और कब्जों को ध्वस्त किया है। गज्जू सोनकर के भानतलैया स्थित कार्यालय और आलीशान बंगले के अवैध हिस्से को तोड़ा गया। दोनों जगह कब्जे का क्षेत्रफल लगभग 35 सौ वर्गफीट था। रज्जाक के दरबार रेस्टोरेंट, कनिष्क होटल, गुरैयाघाट, करमचंद चौक स्थित दर्जी शोरूम एवं गोहलपुर में जबलपुर मार्बल पर कार्रवाई की गई।

सरकारी जमीन पर अपार्टमेंट का निर्माण
आगा चौक के पास सरकारी जमीन पर बने अपार्टमेंट को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। जिला प्रशासन भी इसमें कड़ी कार्रवाई कर सकता है। यह जमीन पूर्व में मध्यप्रदेश राज्य परिवहन निगम के नाम दर्ज थी। अभी इसमें मेट्रो बस का डिपो एवं सर्विसिंग सेंटर है। अधारताल तहसीलदार प्रदीप मिश्रा ने बताया कि यहां अमृत हाइट नाम से बनी इमारत पूरी तरह सरकारी जमीन पर है। इमारत की जमीन का नामांतरण नरेंद्र विश्वकर्मा के नाम दर्ज करने के पूर्व के आदेश को निरस्त किया गया था। उनका कहना है कि यह जमीन पूर्व में दत्तात्रेय राव के नाम थी। उन्होंने इसे बेचा था, लेकिन कुछ हिस्सा रह गया था। वह सरकारी जमीन हो गई। उन्होंने बताया कि नरेंद्र विश्वकर्मा ने सरकारी जमीन पर बनी इमारत को नहीं तोडऩे के लिए कोर्ट में भी प्रकरण दायर किया है। नरेंद्र की ओर से तहसीलदार के आदेश के खिलाफ एसडीएम अधारताल की कोर्ट में भी अपील दी गई है।

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