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मेडिकल में योजनाएं अधूरी, सरकारी प्राथमिकता बार-बार बदलने से पूरा नहीं हुआ एक भी प्रोजेक्ट
310 करोड़ के 3 अस्पतालों का 4 साल से इंतजार
मेडिकल परिसर में बन रहे सुपर स्पेशयलिटी हॉस्पिटल और स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के भवन तक पहुंच मार्ग बनाने के लिए 1.70 करोड़ रुपए की डीपीआर बनाई। दो आधुनिक अस्पताल के लिए जरूरी इस सडक़ के लिए राशि आवंटन में लेटलतीफी हुई। आधा किमी की सडक़ बनाने में दो बार ठेकेदार आधा काम करके भाग गया।
मेडिकल में मरीजों को तीनों प्रस्तावित अस्पतालों में जल्द ही आधुनिक जांच सुविधा उपलब्ध होगी। सुपर स्पेशयलिटी हॉस्पिटल को शुरू करने की तैयारियां अंतिम चरण में है।
– शरद जैन, चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री
फंड के एडजस्टमेंट में पिछड़े प्रोजेक्ट
– टीबी एंड चेस्ट विभाग का नया भवन बनाने का मसौदा बना। इस बीच स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट का प्रस्ताव मिला। टीबी एंड चेस्ट विभाग का काम छोडकऱ स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट की बुनियाद रखने की कवायद की।
– स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट की नींव रखने के कुछ समय बाद ही सुपर स्पेशयलिटी हॉस्पिटल का प्रस्ताव मिला। कैंसर इंस्टीट्यूट की जगह विभाग ने पूरा फोकस सुपर स्पेशयलिटी हॉस्पिटल का भवन बनाने पर कर लिया।
– सुपर स्पेशयलिटी हॉस्पिटल का भवन जब बनकर तैयार हुआ तो प्रदेश में छिंदवाड़ा सहित सात मेडिकल कॉलेज खोलने पर पूरी ताकत लगा दी गई। इससे सुपर स्पेशयलिटी हॉस्पिटल का कार्य हाशिए पर चला गया।
– पांच करोड़ रुपए से टीबी एंड चेस्ट विभाग का भवन इस साल बनकर तैयार हुआ। तब तक इसे स्कूल ऑफ एक्सीलेंस बनाने का प्रस्ताव बना लिया गया। इसके बाद अतिरिक्त फंड 20 करोड़ रुपए जुटाने की कवायद हुई।