किराया वसूला जाए
सिविल लाइंस जबलपुर निवासी रादुविवि में विधि के छात्र रौनक यादव की ओर से २०१७ में यह जनहित याचिका दायर की गई थी। इसमें कहा गया है कि पूर्व मुख्यमंत्रियों कैलाश जोशी, दिग्विजय सिंह व उमा भारती को तत्कालीन राज्य सरकार ने नि:शुल्क सरकारी आवास आवंटित किए थे। इन्होंने मुख्यमंत्री पद पर न रहने के बावजूद इन बंगलों पर कब्जा कर रखा है। इसके अलावा कई प्रशासनिक व शासकीय अधिकारी भी राजधानी भोपाल में पदस्थ न होने के बावजूद यहां शासकीय बंगलों में कब्जा किए हुए हैं। इसे मप्र मंत्री ( वेतन तथा भत्ता ) अधिनियम १९७२ के प्रावधानों का उल्लंघन बताते हुए याचिका में इन बंगलों को खाली कराने व अनधिकृत उपयोग की अवधि का किराया वसूल किए जाने का आग्रह किया गया।
संशोधन भी असंवैधानिक
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विपिन यादव ने कोर्ट को बताया कि याचिका लंबित रहने के दौरान 24 अगस्त, 2017 को मप्र मंत्री ( वेतन तथा भत्ता ) अधिनियम संशोधन 2017 अधिसूचित किया गया। इसके तहत वर्तमान मंत्रियों व पूर्व मुख्यमंत्रियों को मुफ्त सरकारी आवास प्रदान करने की व्यवस्था दी गई है। लेकिन यह संशोधन संवैधानिक नहीं है। सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता समदर्शी तिवारी ने तर्क दिया कि इस संशोधन से संबंधित रिट याचिका पर सुको के फैसले की प्रतीक्षा है।