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जबलपुर

High Court: सरकारी पदों पर नियुक्ति की आयु सीमा अलग-अलग रखना असंवैधानिक

असिसटेंट प्रोफेसर पद के लिए उम्मीदवारों की अधिकतम आयु 28 वर्ष होगी

जबलपुरMar 08, 2018 / 12:55 pm

Premshankar Tiwari

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जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने बुधवार को एक अहम निर्णय करते हुए कहा कि सरकारी पद पर नियुक्ति के लिए अलग-अलग पैमाने नहीं हो सकते। मामला मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा असिसटेंट प्रोफेसर के पद के लिए प्रदेश एवं बाहरी उम्मीदवारों के लिए निर्धारित की गई अलग-अलग आयुसीमा से जुड़ा है। मुख्य न्यायाधीश हेमन्त गुप्ता और न्यायाधीश विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई की।
कोर्ट ने असिसटेंट प्रोफेसर के लिए प्रदेश के उम्मीदवारों की आयुसीमा 40 और अन्य राज्यों के लिए 28 वर्ष रखने को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अपने अहम फैसले में असंवैधानिक बताया और कहा, यह मूल अधिकारों का हनन है। इसके साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिए कि असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए होने वाली भर्ती परीक्षा में अधिकतम आयु सीमा सभी उम्मीदवारों के लिए एक समान 28 वर्ष ही रखी जाए।

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बाहरी राज्यों के लिए 40 वर्ष
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के ग्राम ब्रम्हस्थान निवासी मुकेश कुमार उमर और मऊ जिले के ग्राम बनियापार में रहने वाली रीता सिंह ने याचिका दायर कर कहा था कि मप्र पीएससी ने प्रदेशभर के सरकारी कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला। इसमें मप्र के अलावा अन्य राज्यों के उम्मीदवारों के लिए आयुसीमा 28 और मप्र के मूल निवासियों के लिए 40 वर्ष रखी गई। इसे याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ब्रह्मेन्द्र प्रसाद पाठक ने असंवैधानिक और समानता के मूल अधिकार का हनन बताते हुए इसे अवैध घोषित करने की मांग की। पीएससी की ओर से असिसटेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति के लिए 15 मार्च से प्रक्रिया का प्रस्ताव है।

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शर्त संशोधित करने का निर्देश
कोर्ट में राज्य सरकार और पीएससी की ओर से बताया गया कि अधिकतम आयुसीमा 28 वर्ष ही है, किंतु प्रदेश के विकास और बेरोजगारी के उन्मूलन के लिए मप्र के मूल निवासियों को 12 वर्ष की छूट विशेष रूप से दी जा रही है। कोर्ट ने इसे मानने से इनकार करते हुए कहा, ऐसी कोई भी छूट संवैधानिक नहीं हो सकती। कोर्ट ने विज्ञापन में प्रकाशित अधिकतम आयुसीमा की शर्त को संशोधित कर प्रदेश के उम्मीदवारों के लिए भी इसे 28 वर्ष करने के निर्देश देकर याचिका का पटाक्षेप कर दिया। सरकार की ओर से अधिवक्ता अमित सेठ और मप्रपीएससी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत सिंह और अधिवक्ता मानस मणि वर्मा उपस्थित हुए।

 

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