पैरालंपिक की विजेता
सिहोरा की रहने वाली जानकी कुमारी बेहद गरीब परिवार से है। वह देख नहीं सकती है। लेकिन उसने अपनी इस कमजोरी को ताकत बना लिया। दिन-रात अभ्यास किया और हाल ही में हुए वल्र्ड पैरालंपिक प्रतियोगिता में भाग लिया। वह पैरालंबित की विजेता है। लेकिन परिवार के आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण उसके पास राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के लिए अभ्यास के लिए जरूरी खेल सामग्री खरीदने का सामथ्र्य नहीं है। आर्थिक तंगी के कारण उसको खेल और अभ्यास में समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।
गोल्ड मेडल जीतना है सपना
जानकी कुमारी ने बताया कि उसका चयन दिल्ली में आयोजित होने वाली राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए हुआ है। लेकिन उसके पास दिल्ली की प्रतियोगिता के अभ्यास के लिए आवश्यक खेल सामग्री नहीं है। इस समस्या को लेकर दिव्यांग जानकी कुमारी कलेक्टर के पास पहुंची थी। कलेक्टर द्वारा जल्द किट उपलब्ध कराए जाने के आश्वासन के बाद यह दिव्यांग खिलाड़ी खुश है। उसका लक्ष्य दिल्ली कॉम्पीटिशन में पदक अपने नाम करने का है।
देश को गर्व और यहां…
कुशनेर दिव्यांग कल्याण संघ का कहना है की जानकी कुमारी ने पैरालंपिक में दुनिया में देश का नाम रोशन किया। इस कामयाबी पर देश को गर्व है। लेकिन सरकार और प्रशासन उसकी उपलब्धि की अनदेखी कर रहे है। इस दिव्यांग खिलाड़ी में अपार संभावना है। प्रशासन को उचित सहायता मुहैया कराना चाहिए। ताकि इस उभरती हुई दिव्यांग प्रतिभा को अपने खेल को तराशने का पूरा मौका मिल सके।