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जबलपुर

गली गली घूम रही ये नागिन, इन लोगों को डसने खोज रही मौका

गली गली घूम रही ये नागिन, इन लोगों को डसने खोज रही मौका
 

जबलपुरJul 01, 2018 / 11:56 am

Lalit kostha

ichchadhari nagin kaise bante hai

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जबलपुर. मानसून सीजन में झमाझम बारिश हो या गर्मी और उमस से व्याकुल करने वाला मौसम। दोनों स्थिति में जहरीले जीव जन्तु पहाड़ी और बिल से बाहर निकल आते हैं। घरों में इनके घुसने की आशंका रहती है। ऐसे में वर्तमान में हो रही बारिश के चलते सावधानी बरतने की नितांत आवश्यकता है। मानसून सीजन में शहर और ग्रामीण क्षेत्र के सभी अस्पतालों के मेडिकल स्टोर में एंटी स्नेक वेनम पहुंचा दी गई है, ताकि सर्पदंश की घटनाओं में जख्मी व्यक्ति की हालत गंभीर होने से पहले ही लोग नजदीकी अस्पताल में उसका इलाज करा सकें। ऐसी स्थिति में झाड़-फंूक के फेर में समय गवांने से जख्मी की जान खतरे में पड़ सकती है।

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मदद के लिए करें हेल्पलाइन पर कॉल
सर्पदंश का खतरा बढ़ा, अस्पतालों में पहुंची वेनम

यहां वॉशिंग मशीन में घुसी थी नागिन
बरसात के सीजन में जहरीले जीव जंतु घरों में घुस रहे हैं। आपात स्थित में वन विभाग की रेस्क्यू टीम से मदद नहीं मिलने पर लोग निजी सर्प विशेषज्ञों की मदद ले रहे हैं। संजीवनी नगर के अरुण भार्गव ने बताया कि दोपहर दो बजे उनके घर की वॉशिंग मशीन में नागिन घुस गई। सर्प विशेषज्ञ गजेंद्र दुबे ने रेस्क्यू किया। वहीं, मानेगांव की मुन्ना लाल की डेयरी में फल साइज कोबरा था, जिसका रेस्क्यू किया गया।

 

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IMAGE CREDIT: lali koshta

झाड़-फूंक का नहीं लें सहारा
डॉक्टरों के अनुसार झाड़-फूंक से सांप के जहर का असर कम नहीं होता है। वन विभाग की रेस्क्यू हेल्प लाइन में इन दिनों घरों में सांप निकलने की शिकायतें बढ़ रही हैं। वन विभाग की रेस्क्यू टीम में सर्प विशेषज्ञ नहीं हंै। सम्बंधित क्षेत्र के आस-पास रहने वाले सर्प विशेषज्ञों का मोबाइल नम्बर दिया जा रहा है। सर्प विशेषज्ञ सांप पकड़ रहे हैँ। जानकारी के अनुसार शहर में 23 प्रजाति के सांप हैं जिसमें करैत, कोबरा और वाइपर ही जहरीली प्रजाति है।

ऐसे जानें जहरीली प्रजाति
वन्य प्राणी विशेषज्ञ मनीष कुलश्रेष्ठ ने बताया कि अगर दो दांत गहरे धंसे हो, वहां चमड़ी नीली पड़ रही हो और सूजन आए तो जहरीले सांप ने डसा है। थोड़ी देर में सांस लेने में तकलीफ, आंखों से धुंधला दिखाई देना या बेहोशी आने लगती है। घोड़ की नॉल यानि यू आकर में छोटे-छोटे कई दांत धंसे हों और खून बह रहा हो तो गैर जहरीले सांप ने डसा है, इसमें जख्म पर लालिमा आती है। सर्प दंश के बाद उपचार में देर करने पर तंत्रिका तंत्र प्रभावित हो जाता है।

रेस्क्यू टीम सिर्फ घायल सांपों का कर रही उपचार
वन विभाग ने वर्ष 2016 में सर्प हेल्पलाइन शुरू की थी। उस समय वन विभाग से सर्प विशेषज्ञों को मानदेय दिया जाता था और जहां से शिकायत आती थी, वहां सर्प विशेषज्ञ भेजा जाता है। सर्प विशेषज्ञ पकड़े गए सांप को लेकर रेंज कार्यालय जाते थे और पंचनामा बनाकर उन्हें जंगल में छोड़ा जाता है। अब सांप पकडऩा और उसे छोडऩा विशेषज्ञ की जिम्मेदारी है। अब रेस्क्यू टीम सिर्फ घायल सांपों का इलाज कराने का काम कर रही है।

 

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यहां इलाज की सुविधा
मेडिकल कॉलेज अस्पताल, विक्टोरिया अस्पताल, सिविल अस्पताल रांझी व सिहोरा, सीएचसी शहपुरा, पनागर, कुंडम, मझौली, पाटन एवं पीएचसी बरेला, बरगी, पड़रिया, बघराजी, इमलई, चरगवां, बेलखेड़ा, नटवारा, कटंगी, डोरिया, इमराना, पड़वार, खितौला, गोसलपुर, मझगवां, सोनपुर, उमरिया चौबे, बेलखाड़ एवं भेडक़ी में एंटी स्नेक वेनम है। जबकि, पीएचसी लम्हकनी और कुम्ही में भी एएसवी है, जरूरत पर वहां समीप के अस्पताल से डॉक्टर बुलाए जाएंगे।

सर्पदंश की स्थिति में क्या करें
पीडि़त व्यक्ति को चलाएं नहीं, उठाकर ले जाएं
सर्प दंश के स्थान को पानी से धोएं और पट्टी नुमा कपड़ा से बांधें
ज्यादा कसकर न बांधें, अन्यथा रक्त संचार बंद होने पर गैंगरीन का जोखिम हो सकता है
झाड़-फूंक में समय बर्बाद करने की बजाए जल्द अस्पताल ले जाएं
सर्प दंश के स्थान पर चीरा न लगाए, इससे प्रजाति की पहचान नहीं हो पाती

इतने सांप पकड़े
वर्ष सांप
2018 11
2017 142
2016 168
2015 104
हेल्प लाइन- 9424792700

मेडिकल कॉलेज, विक्टोरिया अस्पताल के अलावा सभी सीएचसी, पीएचसी और सिविल अस्पतालों में एंटी स्नेक वेनम उपलब्ध कराया गया है। ताकि सर्प दंश में पीडि़त को जल्द से जल्द इंजेक्शन दिया जा सके।
– डॉ. एमएम अग्रवाल, सीएमएचओ

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