हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कहा कि एक सप्ताह के अंदर नर्मदा नदी के किनारे तीन सौ मीटर तक प्रतिबंधित क्षेत्र का निर्धारणपूर्ण बाढ़ स्तर की रेखा से कर दो सप्ताह के अंदर कोर्ट में रिपोर्ट पेश की जाए। एक्टिंग चीफ जस्टिस आरएस झा व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि इस दौरान प्रतिबंधित क्षेत्र में कोई निर्माण न हो। अवैध निर्माणों के खिलाफ अब तक की गई कार्रवाई का ब्योरा भी कोर्ट ने मांगा।
यह है मामला
नर्मदा मिशन के नीलेश रावल व अन्य ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि नर्मदा नदी के 300 मीटर दायरे तक प्रतिबंधित जोन होता है। सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के दिशानिर्देशों के तहत नदी के 300 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार का निर्माण व खनन नहीं किया जा सकता। दयोदय पशु संवद्र्धन केन्द्र व गौशाला के संचालक तिलवारा क्षेत्र में नर्मदा नदी के 300 मीटर के दायरे में अवैध खनन व भवन निर्माण कर रहे हैं। गत 5 जुलाई को कोर्ट ने निर्देश दिए कि नर्मदा के उच्च बाढ़ स्तर ( हाई फ्लड लेवल ) से 300 मीटर के प्रतिबंधित क्षेत्र का निर्धारण किया जाए।
बुधवार को सरकार की ओर से बताया गया कि एसडीएम गोरखपुर ने सिंचाई विभाग के कार्यपालन यंत्री को पत्र लिखकर हाईफ़्लड लेवल का निर्धारण करने को कहा । कार्यपालन यंत्री ने इसके लिए तीन दिन का समय मांगा है। इसके बाद प्रतिबंधित दायरा चिन्हित किया जाएगा। इस पर कोर्ट ने कहा कि हाईफ्लड लेवल का निर्धारण कर एक सप्ताह के अंदर प्रतिबंधित क्षेत्र चिन्हित किया जाए। सरकार को दो सप्ताह के अंदर प्रोग्रेस रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया। याचिकाकर्ता का पक्ष अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने रखा।