जबलपुर/नरसिंहपुर। नर्मदा सेवा यात्रा में शामिल होकर आत्मिक आनंद की अनुभूति होती है। मां की सेवा जैसा ये पुनीत कार्य है। इसमें हर नर्मदा भक्त को समयदान करना चाहिए। यह आह्वान यात्रा के ध्वजवाहक बने नर्मदा भक्तों ने किया। उन्होंने पत्रिका से अपने अनुभव भी साझा किये। यात्रा 28 वें दिन शनिवार को नरसिंहपुर के बरमानघाट पहुंची, यहां आयोजित जन संवाद कार्यक्रम को सीएम ने मोबाइल फोन से संबोधित किया। 29 वें दिन रविवार को यात्रा साईंखेड़ा भटेरा, रिछावर, सोकलपुर, ढुईयापानी पहुंचेगी।
परिक्रमा कठिन कार्य, पर संकल्प से आसान
नरसिंहपुर के आमगांव बड़ा के निवासी सेवा निवृत्त शिक्षक रामेश्वर प्रसाद सोनी ने 63 साल की उम्र में 16 माह 15 दिन में मां नर्मदा की पैदल परिक्रमा की थी। उनका कहना है कि यह एक अत्यंत कठिन कार्य है पर दृढ़ संकल्प के साथ आसानी से पूरा होता है। यात्रा के दौरान यह अनुभव हुआ कि प्रदेशवासियों के साथ गुजरात के लोग भी परिक्रमावासियों की सेवा करते हैं।
…तो चप्पल पहनना बंद कर दिया
नरसिंहपुर जिला की गाडरवारा तहसील के निवासी बालमुकुंद चौरसिया ने 15 साल पहले मां नर्मदा की परिक्रमा की थी। इस बार 75 साल की उम्र में फिर से पैदल परिक्रमा पर निकले हैं। पहली बार परिक्रमा की थी तो चप्पल पहनना बंद कर दिया। उन्होंने बताया कि यात्रा के दौरान ऐसी अनुभूति होती है जैसे हमारे बढ़ते कदमों के साथ मां नर्मदा सुरक्षा करते हुए चल रही हैं।
दो पीढिय़ों से हो रही है मां नर्मदा की यात्रा
नरसिंहपुर के रानी अवंती बाई वार्ड निवासी मालक सिंह लोधी के परिवार में दो पीढिय़ों से नर्मदा यात्रा करते आ रहे हैं। मालक ने बताया कि परिक्रमा के दौरान अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग अनुभव हुए। बरमान घाट में ऐसा अनुभव हुआ जैसे कोई सिद्ध पुरुष नर्मदा तट पर साधना कर रहे हों। अमरकंटक में तो मां नर्मदा साक्षात दर्शन देती प्रतीत होती हैं।