नई व्यवस्था के बारे में मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय कुलपति डॉ. आरएस शर्मा का कहना है किकॉलेजों को सम्बद्धता की निरंतरता के लिए आवेदन के चार अवसर दिए जा रहे है। विलम्ब से आने पर कुल शुल्क का अधिकतम 25 प्रतिशत तक विलम्ब शुल्क देय होगा। नई व्यवस्था को लेकर जानकारों का कहना है कि इससे सिस्टम में पारदर्शिता आ सकती है। हालांकि, लापरवाही करने वालों को खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है। इसके चलते जिम्मेदारों को सतर्क रहना होगा।
जानकारों को यह भी कहना है कि हाइटेक सिस्टम होने का फायदा संस्थानों को उठाना चाहिए। इससे उनका सत्र नियमित हो जाएगा। छात्रों को चक्कर काटने से भी छुटकारा मिल सकता है। छात्रों को भी अपडेट रहने का मौका रहेगा। उन्हें अपनी जरूरतों पर ध्यान देने का प्लेटफॉर्म मिल जाएगा।