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भाजपा विधायक को राहत नहीं, चेक बाउंस के 6 मामले हैं कोर्ट में

locationजबलपुरPublished: Dec 12, 2020 01:56:25 pm

Submitted by:

Manish Gite

रायसेन से भाजपा विधायक सुरेंद्र पटवा के चेकबाउंस मामले में मंगलवार को होगी अगली सुनवाई…।

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भोपाल/जबलपुर। भाजपा विधायक एवं शिवराज सरकार के पूर्व मंत्री सुरेंद्र पटवा की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। हाईकोर्ट ने चेक बाउंस के मामले में पैसा जमा करने के आवेदन पर भाजपा विधायक को समय देने से मना कर दिया। पटवा के खिलाफ चेक बाउंस के छह मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं और दो मामलों में 6-6 मामले की सजा भी हो चुकी है। मामले की अगली सुनवाई मंगलवार 15 दिसंबर को होगी।

 

 

हो चुकी है 6 माह की सजा

इससे पहले जनवरी 2020 में सुरेंद्र पटवा को दो मामलों में 6-6 माह के कारावास और 45 लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई जा चुकी है। पटवा ने व्यावसायिक आवश्यकता के लिए इंदौर निवासी संजय जैन से 9 लाख, सारिका जैन से साढ़े 9 लाख, माया जैन से साढ़े 6 लाख और अनीता मित्तल से 5 लाख रुपए उधार लिए थे। इसके एवज में चारों को जो चैक दिए गए थे वे बाउंस हो गए थे।

बंगला भी हो चुका है कुर्क

इससे पहले सुरेंद्र पटवा विलफुल डिफाल्टर घोषित हो चुके हैं। उनका इंदौर स्थित बंगला भी कुर्क कर लिया गया था। भाजपा के दिग्गज नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री स्व. सुंदरलाल पटवा के दत्तक पुत्र सुरेंद्र पटवा शिवराज सरकार में पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री रह चुके हैं। वे रायसेन जिले की भोजपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं।

 

कोर्ट ने स्पष्ट किया अपना रुख

जबलपुर हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय यादव व जस्टिस सुजय पॉल की युगलपीठ ने पटवा के मामले में अपना रुख स्पष्ट कर दिया। युगलपीठ ने वर्तमान व पूर्व सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक प्रकरणों में अब तक हुई प्रगति के सिलसिले में स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के लिए राज्य शासन को मोहलत दे दी है। इस मामले में मंगलवार 15 दिसंबर को अगली सुनवाई होगी।

 

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 16 सितंबर 2020 को देश के सभी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों से कहा था कि वे उनके यहां लंबित सांसदों-विधायकों के खिलाफ विचाराधीन आपराधिक मामलों को तत्काल सुनवाई के लिए उचित पीठ के समक्ष लाएं। विशेषकर जिन मामलों में कोर्ट ने रोक आदेश जारी कर रखा है, उनमें पहले यह देखा जाए कि रोक जारी रहना जरूरी है कि नहीं? यदि रोक जरूरी है, तो उस मामले को रोजाना सुनवाई करके दो माह में पूरा कर लिया जाए।

 

 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मुख्य न्यायाधीशगण यह भी विचार करें कि जिन मुकदमों की सुनवाई तेजी से चल रही है, उन्हें दूसरी अदालत में स्थानांतरित करने की जरूरत है कि नहीं या ऐसा करना उचित होगा कि नहीं। मुख्य न्यायाधीशों से कहा कि वे एक पीठ गठित करें, जो सांसदों-विधायकों के लंबित मुकदमों के निपटारे की प्रगति की निगरानी करे। इस पीठ में मुख्य न्यायाधीश स्वयं और उनके द्वारा नामित न्यायाधीश शामिल होंगे। इसी आदेश के तारतम्य में कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर यह याचिका दर्ज की। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट प्रशासन व राज्य सरकार को कोर्ट ने ताजा स्टेटस रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव के साथ उपमहाधिवक्ता आशीष आनन्द बर्नार्ड व हाइकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल की ओर से अधिवक्ता बीएन मिश्रा उपस्थित हुए। सुरेंद्र पटवा का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता मृगेंद्र सिंह ने रखा।

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