उपचार का दबाव
स्वास्थ्य विभाग के कई प्रयासों के बाद भी ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों में प्राथमिक उपचार की व्यवस्था बेहतर नहीं हो सकी है। डॉक्टरों के शहर छोडकऱ अपेक्षाकृत छोटी जगहों और गांवों में सेवा के लिए तैयार नहीं होने से हालत बदहाल बने हुए हैं। अन्य चिकित्सकीय सुविधाओं का अभाव है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में प्रसव के बाद नवजात की स्थिति गंभीर होने पर उन्हें भी शहर के लिए रेफर किया जाता है। इसके चलते मेडिकल और एल्गिन अस्पताल के एसएनसीयू में गंभीर नवजात के इलाज का दबाव रहता है।
व्यवस्थाएं कम पड़ रही हैं
जिले में मेडिकल और एल्गिन अस्पताल में ही एसएनसीयू है। इनमें शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों से गंभीर हालत में प्रसूताएं उपचार के लिए पहुंचती है। एक अनुमान के अनुसार दोनों अस्पताल में प्रतिदिन औसतन पचास प्रसव होते है। प्रसव के कुछ मामलों में नवजात की हालात सामान्य नहीं होने पर एसएनसीयू में भर्ती करना पड़ता है। इसके अलावा जिले के ग्रामीण, आसपास के जिलों और संभाग से भी प्रतिदिन गंभीर हालत में नवजात आ रहे है। ऐसे में कई बार अस्पताल में भर्ती प्रसूता के नवजातों के लिए ही एसएनसीयू की व्यवस्थाएं कम पड़ रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले प्रकरणों में प्राथमिक परामर्श और उपचार मिलने में विलंब से कुछ मामलों में नवजात की मौत की बात सामने आयी है।
ये है स्थिति
– 01 मेडिकल अस्पताल
– 01 जिला अस्पताल,
– 03 सिविल अस्पताल,
– 05 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र
– 22 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र
– 209 उप स्वास्थ्य केंद्र
– 02 अस्पताल में ही एएसएनसीय