जबलपुर

ministry of power and energy india : पावरफुल पराली, रोज बन सकती है 11 हजार मेगावाट बिजली

एनटीपीसी में 10 प्रतिशत पराली के इस्तेमाल का मामला

जबलपुरDec 05, 2017 / 01:02 pm

deepankar roy

NTPC 11 thousand MW electricity can be made daily from Parali

जबलपुर। खेतों में जिस पराली (धान का पैरा) को पशु चर लिया करते थे, उसमें जल्द ही करंट दौड़ेगा। देश में पराली से बिजली तैयार करने की कवायद शुरू हुई है। इस प्रक्रिया में ऊर्जा मंत्रालय की ओर से एनटीपीसी में कोयले के स्थान पर 10 प्रतिशत पराली (धान का पैरा) के उपयोग का निर्णय किया इस सम्बंधी आदेश पर अमल हुआ तो प्रदेश में एक साल में पौने चार लाख टन पराली की जरूरत पड़ेगी। एनटीपीसी के अलावा मंत्रालय की सलाह राज्य सरकारों ने भी मानी तो ताप विद्युत गृहों से रोजाना 408 मेगावाट बिजली का उत्पादन पराली से करना होगा।

साल में 33.35 लाख टन
408 मेगावाट बिजली के उत्पादन के लिए चार लाख आठ हजार टन पराली की साल भर में जरूरत पड़ेगी। निजी क्षेत्र के प्लांट भी शामिल हुए, तो कुल 3335 मेगावाट बिजली पराली से बनानी होगी और साल भर में 33.35 लाख टन पराली लगेगी। जबकि प्रदेश में 57 लाख एकड़ में धान की रोपायी की गई थी। जिससे 114 लाख टन पराली का उत्पादन होने का अनुमान है।

प्रति टन 55 सौ रुपए
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने 16 नवम्बर को देश भर में एनटीपीसी प्लांटों में 10 प्रतिशत पराली के उपयोग के निर्देश दिए हैं। प्रदेश में एनटीपीसी का सीधी में 3760 मेगावाट का प्लांट है। 10 प्रतिशत पराली की अनिवार्यता से 376 मेगावाट बिजली बनानी होगी। किसानों को प्रति टन पराली के एवज में 5500 रुपए मिलेंगे।

इतने कोयले की पड़ती है जरूरत
कोयले से एक मेगावाट बिजली बनाने के लिए रोज 15 टन और साल भर के लिए पांच हजार टन की जरूरत पड़ती है। जबकि पराली का कैलोरिफिक मान (समान मात्रा के जलने पर मिलने वाली ऊर्जा) करीब 55 प्रतिशत होने से इतनी ही बिजली बनाने के लिए साल भर में हजार टन की जरूरत होगी। एनटीपीसी का गाडरवारा में 3200 मेगावाट का संयंत्र भी जल्द चालू होने वाला है। यहां भी तीन लाख 20 हजार टन पराली की जरूरत पड़ेगी।

प्रदेश में स्थापित ताप विद्युत ईकाइयां
सीधी में एनटीपीसी प्लांट की क्षमता 3760 मेगावाट
गाडरवारा में अगले साल शुरू होने जा रहे संयंत्र की क्षमता 3200 मेगावाट
जेनको के ताप विद्युत गृहों की क्षमता 4080 मेगावाट
निजी ईकाईयों द्वारा प्रदेश में स्थापित ताप विद्युत गृहों की क्षमता 25515 मेगावाट

10 प्रतिशत कोयले के स्थान पर पराली का उपयोग हुआ तो
36.55 लाख टन साल में पड़ेगी जरूरत
57 लाख एकड़ क्षेत्रफल में प्रदेश में धान बुआई का रकबा
01 एकड़ में औसतन दो टन पराली का होता है उत्पादन

Hindi News / Jabalpur / ministry of power and energy india : पावरफुल पराली, रोज बन सकती है 11 हजार मेगावाट बिजली

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.