बेमिसाल है शहर का मौसम
इन खास पक्षियों को पसंद करने वाले भी कई लोग होते हैं जो इन की विभिन्न मुद्राओं और खूबसूरती को सहेजना और संभाल कर रखना पसंद करते हैं। इनमें प्रमुख रूप से वे लोग होते हैं जो इन पर रिसर्च कर रहे हैं या ऐसे लोग होते हैं जो नेचर से प्यार करने के साथ-साथ बड्र्स को फोटोग्राफी में कैद करना चाहते हैं। शहर का मौसम भी इतना बेमिसाल है कि यहां साल के 12 महीने पक्षियों का आना जाना लगा रहता है इंटरनेशनल वल्र्ड माइग्रेटरी डे के मौके पर आइए जानते हैं कि शहर में किस तरह से प्रवासी पक्षियों का आना होता हैए जिसका कारण यहां की अनुकूलता है।
इन खास पक्षियों को पसंद करने वाले भी कई लोग होते हैं जो इन की विभिन्न मुद्राओं और खूबसूरती को सहेजना और संभाल कर रखना पसंद करते हैं। इनमें प्रमुख रूप से वे लोग होते हैं जो इन पर रिसर्च कर रहे हैं या ऐसे लोग होते हैं जो नेचर से प्यार करने के साथ-साथ बड्र्स को फोटोग्राफी में कैद करना चाहते हैं। शहर का मौसम भी इतना बेमिसाल है कि यहां साल के 12 महीने पक्षियों का आना जाना लगा रहता है इंटरनेशनल वल्र्ड माइग्रेटरी डे के मौके पर आइए जानते हैं कि शहर में किस तरह से प्रवासी पक्षियों का आना होता हैए जिसका कारण यहां की अनुकूलता है।
इसलिए आते हैं पक्षी
शहर का मौसम बेहद अनुकूल है इसी वजह से यहां पर पक्षियों का आना जाना लगा रहता है। गौर किया जाए तो सर्दियों की शुरूआत से ही पक्षियों का आना शुरू हो जाती है। यह बारिश शुरू होने के पहले तक यहां अपना डेरा जमाए रहते हैं। शहर में आने की वजह यहां पर उनको पर्याप्त भोजन का मिल जाना है। वह अधिकतर डुमना और ग्वारीघाट क्षेत्रों में दिखाई देते हैंए जहां उन्हें भरपेट कीट और खाद्य सामग्री मिल जाती है। यह नदियों के किनारे पर अपना आश्रय खोजते हैं जिससे उन्हें पानी साथ-साथ अठखेलियां करने का मौका भी मिल जाता है।
शहर का मौसम बेहद अनुकूल है इसी वजह से यहां पर पक्षियों का आना जाना लगा रहता है। गौर किया जाए तो सर्दियों की शुरूआत से ही पक्षियों का आना शुरू हो जाती है। यह बारिश शुरू होने के पहले तक यहां अपना डेरा जमाए रहते हैं। शहर में आने की वजह यहां पर उनको पर्याप्त भोजन का मिल जाना है। वह अधिकतर डुमना और ग्वारीघाट क्षेत्रों में दिखाई देते हैंए जहां उन्हें भरपेट कीट और खाद्य सामग्री मिल जाती है। यह नदियों के किनारे पर अपना आश्रय खोजते हैं जिससे उन्हें पानी साथ-साथ अठखेलियां करने का मौका भी मिल जाता है।
मौसम के हिसाब से आते हैं पक्षी
शहर में बदलते मौसम के अनुसार प्रवासी पक्षी आना पसंद करते हैं। इसमें भी कुछ जलीय पक्षी, तो कुछ झाडिय़ों में छिपने वाले तो कुछ गर्मी के मौसम में आने वाले होते हैं। अक्टूबर से जनवरी के बीच रेड क्रस्टेड कोचार्ड, नार्दन शेल्वेडोर और ग्लॉसी आइविश जैसे पक्षी आना पसंद करते हैं।
शहर में बदलते मौसम के अनुसार प्रवासी पक्षी आना पसंद करते हैं। इसमें भी कुछ जलीय पक्षी, तो कुछ झाडिय़ों में छिपने वाले तो कुछ गर्मी के मौसम में आने वाले होते हैं। अक्टूबर से जनवरी के बीच रेड क्रस्टेड कोचार्ड, नार्दन शेल्वेडोर और ग्लॉसी आइविश जैसे पक्षी आना पसंद करते हैं।
शिकारी पक्षियों की संख्या भी ज्यादा
शहर में हिमालय और यूरोप से सबसे ज्यादा शिकारी पक्षी आते हैं। इसमें हिमालयीन क्रपिंग गल्सर और यूरोपियन ग्रेटर स्पॉटेड इगल शामिल है। इसके साथ ही लॉन्ग लेग बजार्ड कॉमन कैफ्ट्रल और स्टफी इगल भी यहां अपना बसेरा बनाए रहते हैं। इतना ही नहीं रंगीन पक्षियों में अल्ट्रामरीन फ्लाइकेचर, वर्डडेटर फ्लाइकेचर, रेड ब्रस्डेड फ्लाइकेचर का डेरा शहर में नजर आता है।
शहर में हिमालय और यूरोप से सबसे ज्यादा शिकारी पक्षी आते हैं। इसमें हिमालयीन क्रपिंग गल्सर और यूरोपियन ग्रेटर स्पॉटेड इगल शामिल है। इसके साथ ही लॉन्ग लेग बजार्ड कॉमन कैफ्ट्रल और स्टफी इगल भी यहां अपना बसेरा बनाए रहते हैं। इतना ही नहीं रंगीन पक्षियों में अल्ट्रामरीन फ्लाइकेचर, वर्डडेटर फ्लाइकेचर, रेड ब्रस्डेड फ्लाइकेचर का डेरा शहर में नजर आता है।
गर्मी में दिखता है नवरंगा
गर्मी के सीजन में सबसे ज्यादा शहर में नवरंगा और यूरोशियन कुकू नजर आती है। इसमें कुछ मप्र से तो कुछ अलग-अलग देशों से उड़कर खाने की तलाश में यहां आते हैं।
गर्मी के सीजन में सबसे ज्यादा शहर में नवरंगा और यूरोशियन कुकू नजर आती है। इसमें कुछ मप्र से तो कुछ अलग-अलग देशों से उड़कर खाने की तलाश में यहां आते हैं।
शहर में यहां दिखते हैं पक्षी
ठाकुर ताल
अधारताल
भेड़ाघाट
बालसागर
तिलहरी
नरई
बरगी
पाटन रोड
ठाकुर ताल
अधारताल
भेड़ाघाट
बालसागर
तिलहरी
नरई
बरगी
पाटन रोड