मझगवां क्षेत्र के किसान सुरेश पटेल, रमेश पटेल, प्रमोद पटेल, प्रवीण पांडे ने बताया कि धान की फसल में झुलसा (ब्लास्ट) का प्रकोप देखा जा रहा है। इस रोग में पौधों से लेकर दाने बनने तक की अवस्था में मुख्य पत्तियों, बालियों पर आंख के आकार के धब्बे बनते हैं। बीच में राख के रंग का तथा किनारों पर गहरे भूरे धब्बे लालिमा लिए हुए होते हैं। कई धब्बे मिलकर कत्थई सफेद रंग के बड़े धब्बे बना लेते हैं, जिससे पौधा झुलस जाता है। धान की बालियों में दूध खत्म होने से यह काली पड़ जाती है और अंदर दाना नहीं बचता। ब्लॉस्ट रोग का असर सिंघुली, भटली, बुढऱा, खिरहनी, चिखली, देवरी, सतधारा, नुंजी और मझगवां क्षेत्र में फैलने से किसान परेशान हैं।
दवाओं का नहीं हो रहा असर
किसानों ने बताया कि ब्लास्ट रोग क्रांति धान की किस्म में सबसे ज्यादा देखने को मिल रहा है। यह किस्म सिहोरा विकासखंड में बड़े रकबे में बोई गई है। किसान कृषि अधिकारियों की सलाह अनुसार दवाएं खरीदकर छिडक़ाव कर रहे हैं, लेकिन इसका असर रोग पर कतई होता नजर नहीं आ रहा है। कई किसानों ने हजारों रुपए इस रोग को मिटाने में खर्च कर दिए हैं।
झुलसा (ब्लास्ट) रोग की शिकायतें कई गांवोंं से मिली हैं। चूंकि इस रोग का उपाय गभोट के समय ही संभव है। बाली निकलने के बाद कोई भी दवा काम नहीं करेगी।
जेएस राठौर, वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी, सिहोरा