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जबलपुर

कबाड़ की बोतलें, कंपनियों के लिए बन रहीं सोना

तैयार हो रहा धागा, ब्रॉन्डेड चीजें हो रही हैं तैयार, जबलपुर कच्चे माल का बड़ा यार्ड

जबलपुरMay 15, 2023 / 12:41 pm

gyani rajak

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प्लास्टिक की बोतलों की रीसाइकिलिंग

ज्ञानी रजक, जबलपुर। कोल्ड ड्रिंक, पानी और दवाइयों की खाली बोतल राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के लिए सोना साबित हो रही हैं। इसके यार्न(रेशे)से ब्रॉन्डेड जूते, जैकेट, जींस पैंट, पर्स, गद्दे जैसी महंगी चीजें तैयार की जा रही हैं। जबलपुर प्लास्टिक बोतल से धागे तैयार करने के कच्चे माल का बड़ा यार्ड बन रहा है। हर महीने यहां से एक हजार टन माल सप्लाई होता है, इसकी कीमत ढाई से तीन करोड़ है।
इसका बाजार इतना बड़ा बन गया है कि तीन बड़ी सहित १५ प्रोसेसिंग यूनिट जबलपुर में लग चुकी हैं। जहां जबलपुर से लगे १२ जिलों के साथ ही छत्तीसगढ़ के कई जिलों से इस्तेमाल हो चुकी प्लास्टिक बोतल थोक में यहां आ रही है। जिनकी पहली प्रोसेसिंग के लिए जबलपुर गढ़ बन गया है। इन 15 प्लांट में स्क्रैप के रूप में यह बोतलें एकत्रित होती हैं। प्रेशर मशीन से इसके बंडल बनाए जाते हैं। शहर में एक-दो इकाइयां ऐसी हैं जिनके पास बड़ा काम है। अत्याधुनिक मशीनों की सहायता से इन बोतलों के छोटे टुकड़े (फ्लेक्स) किए जाते हैं। फिर इनके जरिए यार्न तैयार किया जाता है।
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धागे की अच्छी कीमत
पेट यार्न (धागा) की कीमत बहुत अधिक होती है। इससे महंगी वस्तुएं तैयार होती हैं। हर ब्रॉन्डेड कंपनी इससे लोकप्रिय चीजों को तैयार कर रही हैं। बड़ा फायदा यह है कि पेट यानी प्लास्टिक की बोतलों की रीसाइकिलिंग हो जाती है। तीन चरणों में प्रक्रिया होने के कारण कई लोगों को रोजगार मिलता है। जबलपुर में प्रत्यक्ष रूप से 900 तो अप्रत्यक्ष रूप से 15 सौ से अधिक लोगों को इससे रोजगार मिला है।
इन बोतलों का इस्तेमाल

– कोल्ड ड्रिंक, शराब, दवाइयां, पानी, जूस आदि।

ऐसे होती है प्रक्रिया

शहर में कबाड़ का सामान लेने वाले एक हजार से ज्यादा छोटे फेरी वाले इन्हें एकत्रित करते हैं। फिर प्लांट में माल की छंटनी होती हैं। इनमें 50 से 60 श्रमिक काम करते हैं। वे बोतलों से ढक्कन और उसके नीचे लगी रिंग को अलग करते हैं। फिर बोतलों को प्रेशर मशीन में डालकर उसे दबाया जाता है। इनके पेट बंडल तैयार कर बड़ी कंपनियों को भेजा जाता है। वहां बने फाइबर से पेट यार्न बनाया जाता है। इसमें कुछ मात्रा में कॉटन भी मिलाया जाता है।
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शेयर की तरह खुलते हैं रेट
फ्लेक्स और यार्न की अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारी मांग है। इनके रोजाना रेट खुलते हैं, कीमतों में उतार-चढ़ाव होता है। जानकारों ने बताया कि भारत से सबसे ज्यादा माल चीन जाता है। शहर में 30 से 40 हजार रुपए टन में बोतलों की खरीदी होती है। 35 से 45 हजार रुपए टन में पेट बंडल की बिक्री की जाती है। इसके फ्लेक्स 70 से 80 हजार रुपए टन में बिकता है। यार्न एक से डेढ़ लाख रुपए टन तक खरीदा जाता है।

रप्रधानमंत्री ने पहनी थी जैकेट
जानकारों का दावा है कि रिसाइकिलिंग कर बोतलों से बने पेट यार्न की कई चीजें बन रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब बजट सत्र में भाग ले रहे थे, तब उन्होंने इसी पेट यार्न की जैकेट पहन रखी थी। भारतीय क्रिकेट टीम ने पिछले वल्र्ड कम में इससे बनी जर्सी पहनी। अब भारतीय सेना के लिए इसी से कपड़ा तैयार किया जा रहा है।


ऐसी है कीमत
– शहर में हर माह 800-1000 टन की आवक।
– 30-40 हजार रुपए टन में बोतलों की खरीदी।
– 35-45 हजार रुपए टन पेट बंडल की कीमत।
– फ्लेक्स की कीमत 70-80 हजार रुपए टन।
– यार्न की कीमत एक से डेढ़ लाख रुपए टन।
नोट: अंतरराष्ट्रीय मार्केट के अनुरूप कीमत

जबलपुर में पेट बोतल की प्रोसेसिंग की इकाइयां बढ़ रही हैं। कई बड़ी कंपनियां इन्हीं से बने यार्न के जरिए अपने उत्पाद तैयार कर रही हैं। ऐसे में जहां बोतलों की रिसाइकिलिंग हो रही है तो हजारों लोगों को रोजगार मिल रहा है।

सैयद कमर अली, कारोबारी

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