पेट यार्न (धागा) की कीमत बहुत अधिक होती है। इससे महंगी वस्तुएं तैयार होती हैं। हर ब्रॉन्डेड कंपनी इससे लोकप्रिय चीजों को तैयार कर रही हैं। बड़ा फायदा यह है कि पेट यानी प्लास्टिक की बोतलों की रीसाइकिलिंग हो जाती है। तीन चरणों में प्रक्रिया होने के कारण कई लोगों को रोजगार मिलता है। जबलपुर में प्रत्यक्ष रूप से 900 तो अप्रत्यक्ष रूप से 15 सौ से अधिक लोगों को इससे रोजगार मिला है।
शेयर की तरह खुलते हैं रेट
फ्लेक्स और यार्न की अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारी मांग है। इनके रोजाना रेट खुलते हैं, कीमतों में उतार-चढ़ाव होता है। जानकारों ने बताया कि भारत से सबसे ज्यादा माल चीन जाता है। शहर में 30 से 40 हजार रुपए टन में बोतलों की खरीदी होती है। 35 से 45 हजार रुपए टन में पेट बंडल की बिक्री की जाती है। इसके फ्लेक्स 70 से 80 हजार रुपए टन में बिकता है। यार्न एक से डेढ़ लाख रुपए टन तक खरीदा जाता है।
रप्रधानमंत्री ने पहनी थी जैकेट
जानकारों का दावा है कि रिसाइकिलिंग कर बोतलों से बने पेट यार्न की कई चीजें बन रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब बजट सत्र में भाग ले रहे थे, तब उन्होंने इसी पेट यार्न की जैकेट पहन रखी थी। भारतीय क्रिकेट टीम ने पिछले वल्र्ड कम में इससे बनी जर्सी पहनी। अब भारतीय सेना के लिए इसी से कपड़ा तैयार किया जा रहा है।
ऐसी है कीमत
– शहर में हर माह 800-1000 टन की आवक।
– 30-40 हजार रुपए टन में बोतलों की खरीदी।
– 35-45 हजार रुपए टन पेट बंडल की कीमत।
– फ्लेक्स की कीमत 70-80 हजार रुपए टन।
– यार्न की कीमत एक से डेढ़ लाख रुपए टन।
नोट: अंतरराष्ट्रीय मार्केट के अनुरूप कीमत
जबलपुर में पेट बोतल की प्रोसेसिंग की इकाइयां बढ़ रही हैं। कई बड़ी कंपनियां इन्हीं से बने यार्न के जरिए अपने उत्पाद तैयार कर रही हैं। ऐसे में जहां बोतलों की रिसाइकिलिंग हो रही है तो हजारों लोगों को रोजगार मिल रहा है।
सैयद कमर अली, कारोबारी