फैक्ट फाइल-
६०० – से अधिक ट्रांसपोर्टर जिले में
८,००० – के करीब ट्रक और माल वाहक
२०० – से अधिक बस ऑपरेटर्स हैं शहर में
५०० – बसों का संचालन शहर व आसपास
डीजल और पेट्रोल पर वैट की दर कम करना अच्छा कदम है। लेकिन, यात्री किराया का निर्धारण राज्य शासन द्वारा गठित किराया निर्धारण समिति करती है। बीते साल से अब की तुलना की जाए, तो डीजल के दामों में इजाफा हुआ है। जिस अनुपात में दर और दाम कम होने से वह हुआ नहीं। इसलिए किराए में राहत देना ऑपरेटरों के लिए मुश्किल होगा।
– नसीम बेग, जबलपुर बस ऑपरेटर एसोसिएशन
मप्र में दूसरे राज्यों की तुलना में पेट्रोल और डीजल पर वैट की दर ज्यादा हैं। शासन ने इसे कम जरूर किया है, लेकिन इससे महंगाई पर कुछ फर्क पडेग़ा, यह सम्भव नहीं है। इसी तरह परिवहन व्यवस्था में कोई बदलाव आएगा, यह मुश्किल है। इसमें समय लग सकता है। इसलिए उपभोक्ता को सीधा लाभ मिलना अभी सम्भव नहीं दिखता है।
– प्रो. शैलेष चौबे, अर्थशास्त्री
ट्रकों का किराए पर डीजल के दामों में कमी और बढ़ोत्तरी का ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। किराया का निर्धारण सीजन के साथ वाहन की उपलब्धता के आधार पर होता है। यदि वाहन ज्यादा हैं और माल की आवक-जावक कम, तो भाड़ा कम हो जाता है। इसके विपरीत की स्थितियों में यह तेज हो जाते हैं। रिटर्न सम्बंधी प्रक्रिया पूरी करने के लिए खर्चों में इजाफा हुआ है। इसलिए भाड़ा काम करना मुश्किल होगा।
– परमवीर सिंह, अध्यक्ष ट्रक ऑनर्स एसोसिएशन