हर हाथ हो नौकरी
शहरवासियों का कहना है कि यदि इसी तरह लगातार आबादी बढ़ती रही, तो आने वाले समय में और भी ज्यादा लोगों को नौकरी के लिए मशक्क्त करनी पड़ेगी। अभी से आबादी पर नियंत्रण किया जाएगा तो आने वाले 20 सालों में ही हर हाथ में नौकरी होगी। क्योंकि इसका सवाल स्वयं के बच्चों से भी जुड़ा हुआ है ऐसे में खुद की पहल की सबसे बड़ा बदलाव साबित होगी।
इसलिए है बदलाव की जरूरत
– भावी पीढ़ी को अच्छे रोजगार के लिए
– क्वांटिटी नहीं, बल्कि क्वालिटी लाइफ के लिए
– बेहतर एजुकेशन के लिए
– पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए
– बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए
सोच में परिवर्तन जरूरी है
जनसंख्या वृद्धि रोकने के लिए सोच में परिवर्तन सबसे ज्यादा जरूरी है। बच्चे चाहे लडक़ी हो या फिर लडक़े आजकल सभी की शिक्षा में सामान बजट लगता है। ऐसे में बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए जरूरी है कि घर में बच्चों की संख्या एक या दो से ज्यादा न हो।
भविष्य में बढेंगी चुनौतियां
&भावी समय में बाजार मांग को देखते हुए लोगों की आवश्कता और भी ज्यादा बढ़ेगी, लेकिन यदि जनसंख्या इसी क्रम से आगे बढ़ती रहेगी, तो भविष्य में नौकरी पाने के लिए वर्तमान से भी ज्याद परेशानी उठानी होगी।
डॉ. भूपेन्द्र उपाध्याय, प्रबंध विशेषज्ञ
ग्रामीण ही नहीं शहरी सोच भी बदले
– जनसंख्या वृद्धि के लिए सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों को ही जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। शहर में ही तीन से चार बच्चों की संख्या घरों में होती है। ये सिर्फ बेटे की चाह में होता है। ऐसे में बेटा-बेटी का भेद खत्म करना जरूरी है।
संगीता रिछारिया, गृहिणी
बढ़ती जनसंख्या का कारण ही है युवाओं को वर्तमान में नौकरी के लिए इतनी मुश्किलें होती हैं। कॉम्पीटिशन हर कहीं बढ़ रहा है, तमाम कोशिशों के बाद भी अधिक आवेदन आने से उनका सलेक्शन नहीं हो पाता।
दीपांजलि, स्टूडेंट
जनसंख्या वृद्धि लोगों में क्वालिटी एजुकेशन के रास्ते में भी मुश्किल डालती है। अधिक बच्चों के होने से समान शिक्षा सभी को दे पाना मुश्किल होता है। ऐसे में अच्छी स्किल्स नहीं होने पर रोजगार भी नहीं मिल पाता।
राखी रजक, स्टूडेंट
वर्तमान में किसी एक पोस्ट के लिए आवेदन करो, तो उसके लिए सैंकड़ों आवेदन होते हैं। नौकरी चाहे राज्य की हो या फिर केन्द्र की अब उसे पाना आसान नहीं है। कौशल विकास के लिए भी अधिक लोग होते हैं।
रुद्र ठाकुर, स्टूडेंट