हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दिया एक सप्ताह का समय
जबलपुर•Jul 26, 2021 / 07:40 pm•
prashant gadgil
Jabalpur High Court
जबलपुर. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को मोहलत देकर कहा कि सात साल से कम प्रैक्टिस वाले सरकारी वकीलों की रिपोर्ट पेश की जाए। जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव व जस्टिस वीरेंदर सिंह की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार को एक सप्ताह का समय दिया। अगली सुनवाई तीन अगस्त को होगी। अधारताल जबलपुर निवासी इंजीनियर ज्ञान प्रकाश की ओर से जनहित याचिका दायर कर कहा गया कि जिला अदालत या हाईकोर्ट में पीडि़त पक्ष अर्थात सरकार का पक्ष रखने के लिए शासकीय अधिवक्ता के पास सात साल का न्यूनतम अनुभव होना आवश्यक है। धारा 24 एवं 25 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत उच्च न्यायालय या सत्र न्यायालय में किसी भी आपराधिक प्रकरण की पैरवी के लिए लोक अभियोजक को ही नियुक्तकिया जाना चाहिए, जिसको सात वर्ष का वकालत में न्यूनतम अनुभव हो। कोर्ट मित्र अधिवक्ता आदित्य संघी ने तर्क दिया कि हालात इसके उलट हैं। प्रदेश भर में एक-एक दो-दो साल के अनुभव वाले कनिष्ठ अधिवक्ता गम्भीर आपराधिक प्रकरणों में पैरवी कर रहे हैं, जो दंड प्रक्रिया संहिता का उल्लंघन है। यह भी तर्क दिया गया कि राजनीतिक दबावों में आकर अहर्ता पूरी न करने वाले अधिवक्ताओं को न केवल संविदा पर नियुक्त किया जाता है, बल्कि उनको महत्वपूर्ण प्रकरणों में पैरवी के लिए अधिकृत भी कर दिया जाता है। सोमवार को राज्य सरकार की ओर से रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक सप्ताह का समय और मांगा गया। आग्रह स्वीकार कर कोर्ट ने अगली सुनवाई तीन अगस्त को नियत की। हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता ने पक्ष रखा।
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