रेलवे की योजना के मुताबिक रात के वक्त पटरियों की सुरक्षा के लिए होमगार्ड जवानों को प्राथमिकता दी जाएगी। लेकिन जहां होमगार्ड जवान उपलब्ध नहीं होगे, वहां निजी कंपनी के कर्मचारियों की सेवाएं ली जाएंगी। पमरे में जबलपुर मंडल के बाद अन्य मंडल में भी रात के वक्त ट्रैक की सुरक्षा के लिए निजी गार्ड्स लगाए जाएंगे।
रेलवे बोर्ड ने ट्रैकमैन की कमी के चलते होमगार्ड जवानों और निजी सुरक्षा गार्ड्स की तैनाती का निर्णय किया है। सभी रेलवे जोन और उसके अंतर्गत आने वाले रेल मंडलों को इसके निर्देश दे दिए गए हैं। जबलपुर मंडल में ट्रैक की सुरक्षा के लिए निजी कंपनी के 200 कर्मचारी तैनात कर दिए गए हैं।
रेलवे में पटरियों की सुरक्षा के लिए गश्त लगाने का काम ट्रैकमैन (पेट्रोलमैन) करते हैं। इनकी महकमे में भारी कमी है। इस कारण न तो ट्रैक की सुरक्षा हो पा रही है और न ही उसका रखरखाव हो पा रहा है। रात के वक्त विशेषकर कोहरा पडऩे दौरान सुरक्षा और गश्त की जरूरत और बढ़ जाती है।
पमरे के जबलपुर डिवीजन में ही 400 के लगभग ट्रैकमैन की कमी है। इससे रात को ट्रैक की निगरानी में रेल प्रशासन को परेशानी हो रही है। जबलपुर डिवीजन के बाद पमरे के बाकी दो डिवीजन में भी निजी कर्मचारियों को रात के वक्त ट्रैक की निगरानी और सुरक्षा की जिम्मेदारी दिए जाने की कार्रवाई लगभग पूरी कर ली गई है।
रात में रेलवे ट्रैक में सुरक्षा के लिए दो लोगों को गश्त की जिम्मेदारी दी गई है। निजी कंपनी के कर्मचारियों को रेलवे एक दिन की ट्रेनिंग देगा। ड्यूटी के दौरान इन्हें बाकी ट्रेनिंग दी जाएगी। कर्मचारियों की दैनिक उपस्थिति के मान से निजी कंपनी को भुगतान किया जाएगा। दो-दो लोगों की टीम रेलवे ट्रैक के हर तीन किमी पर तैनात होगी। इनमें एक रेलवे का ट्रैकमैन होगा, दूसरा होमगार्ड का जवान या निजी कंपनी का कर्मचारी। हर टीम को एक जीपीएस दिया जाएगा, अलर्ट होते ही कंट्रोल को सूचना देंगे।