सुंदर स्त्रियों की कविताओं को ज्यादा तवज्जो मिल रही थी
कहानी के मंचन में प्रकाशन के लिए चयनित की जानी वाली कविताओं को मानक गुणवत्ता, योग्यता के बजाय उसे लिखने वाली स्त्री का सौंदर्य बन गया था। सुंदर स्त्रियों की कविताओं को ज्यादा तवज्जो मिल रही थी। कामाक्षी नामक युवती संपादक को उत्तेजक कविताएं भेजने लगी तो उसने सोचा कि कविता की तरह ही स्त्री के भाव होंगे, लेकिन स्त्री की प्राथमिकता सिर्फ कविताएं ही थीं। अंतत: रचना और स्त्री की खूबसूरती का फर्क समझ में आया। क्योंकि, मन एवं चरित्र को खूबसूरत होने की प्रधानता है।
मंचन में रही संवाद की सार्थकता
कहानी का रूपांतरण मंचन में भूमिका निभाने वाले सुशील शर्मा ने किया है। प्रेम प्रसंग के अभिनय के साथ व्यंग्यात्मक संवाद सार्थक रहा। दस रंगकर्मियों ने 1.20 घंटे प्रस्तुति दी। कार्यक्रम के संयोजक उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के अजय गुप्ता ने रंगकर्मियों का स्वागत किया। बर्नाली मेधा, हिमांशी पांडे, प्राची मेघा, सदानंद बाग, शिव स्वरूप और अविनाश ने भी अभिनय किया।