बता दें कि मेडिकल यूनिवर्सिटी के छात्रों का रिजल्ट बनाने के नाम पर बड़ा घोटाला होने पर पत्रिका ने इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया। फिर छात्र भी आंदोलित हुए। उसके बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग ने जांच शुरू की। जांच के दौरान परत-दर-परत कई मामले सामने आए मसलन जिसने परीक्षा तक नहीं दी वो उत्तीर्ण हो गया। प्रैक्टिकल तक के नंबर बढ़ाए गए। नर्सिंग स्टूडेंट्स के रिजल्ट में भी कई तरह की खामियां उजागर हुई थीं। ऐसे में अब चिकित्सा शिक्षा विभाग ने कुलसचिव जेके गुप्ता को भी हटा दिया। उनकी प्रतिनियुक्ति समाप्त कर मूल आयुष विभाग में भेजे जाने का आदेश जारी किया है। यह आदेश 14 जुलाई को आदेश जारी किया गया। इसके तहत प्रतिनियुक्ति आदेश वापस लेते हुए उन्हें उनके मूल आयुष विभाग को वापस कर दिया है। बता दें कि 18 नवंबर 2020 को डॉक्टर जेके गुप्ता होम्योपैथिक मेडिकल ऑफिसर भोपाल की सेवाएं आयुष विभाग से चिकित्सा शिक्षा विभाग में लेते हुए मेडिकल यूनिर्विसिटी में प्रतिनियुक्ति पर उप कुलसचिव बनाया था।
ये भी पढें- MP Medical University घोटाले में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई, कई अधिकारी हटाए गए परीक्षा में धांधली की जांच करने वाले डॉक्टर जेके गुप्ता को हटाने का आदेश विवि के तीन कार्य परिषद सदस्यों के कुलपति डॉक्टर टीएन शुक्ला को एक दिन पहले लिखे पत्र के बाद आया है। सूत्रों की माने तो कार्य परिषद सदस्य डॉक्टर पीके कसार, डॉक्टर राजेश धीरावाणी और डॉक्टर परिमल स्वामी ने 13 जुलाई को कुलपति को पत्र भेजा था। इसमें बजट प्रावधान औ अचानक परीक्षा निरस्त करने को लेकर आपत्ति दर्ज कराई गई थी। परीक्षा कराने वाली दागी कंपनी माइंडलॉजिक्स को टर्मिनेट करने पर सवाल उठाए गए थे। वहीं एग्जाम कंट्रोलर को भी हटाने पर ये कहते हुए आपत्ति दर्ज कराई गई थी कि उनके समय में प्रभावी तरीके से परीक्षा का संचालन हो रहा था। तीनों ईसी मेम्बर के एक सुर को लेकर भी लोगों में कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।
ये भी पढ़ें- व्यापमं की तर्ज पर नया घोटालाः MP के इस इकलौते मेडिकल कॉलेज के इन अधिकारी पर लगे संगीन आरोप इससे पहले शासन ने रिजल्ट बनाने वाली ठेका कंपनी माइंडलॉजिक्स इंफ्राटेक को टर्मिनेट करते हुए गोपनीय विभाग के बाबू नीलेश जायसवाल को निलंबित कर दिया था, जबकि जांच में घिरी इंदौर मेडिकल कॉलेज से प्रतिनियुक्ति पर आई एग्जाम कंट्रोलर डॉक्टर वृंदा सक्सेना की प्रतिनियुक्ति सेवा समाप्त कर दी थी। जबकि उपकुलसचिव (अतिरिक्त प्रभार) डॉ. तृप्ति गुप्ता को भी उनके मूल विभाग चिकित्सा शिक्षा विभाग को वापस कर दी गई थी। अब उप कुलसचिव डॉक्टर जेके गुप्ता के की प्रतिनियुक्ति वापस ली गई है।
जांच में मिली प्रमुख अनियमितताएं -जांच के दौरान सरकारी कार्य पर भोपाल जाने का आदेश परीक्षा नियंत्रक ने समिति के समाने पेश नहीं किया -कॉलेजों के साथ साठगांठ कर अंकों में फेरबदल की मौखिक शिकायत समिति को मिली है
-परीक्षा परिणाम जारी होने से पहले ही एक कर्मी के पास रिजल्ट का ब्योरा आने से गोपनीयता भंग हुई -कर्मचारी के खिलाफ एक पेमेंट ऐप पर छात्रों से रुपए मांगने की मौखिक शिकायत समिति को मिली
-परीक्षा विभाग के एक आउटसोर्स कर्मी के खाते में ई-वॉलेट के माध्यम से पैसे भेजे जाने की शिकायत मिली अब मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉक्टर टीएन दुबे पर भी तलवार लटक रही है। उन पर आरोप लगते रहे हैं कि वह सप्ताह में दो दिन ही जबलपुर में रहते हैं। इसी के चलते सारी अव्यवस्थाएं सामने आ रही है। उन पर आरोप लगता रहता है कि वह निजी डेंटल कॉलेज के एक गेस्ट हाउस में मेहमान बनकर रहते हैं। जबकि उस डेंटल कॉलेज की संबद्धता इसी विश्वविद्यालय से है। इस कॉलेज के डायरेक्टर डॉक्टर राजेश धीरावाणी कार्यपरिषद के सदस्य भी हैं।
पिछले 22 जून को कार्यपरिषद की बैठक में सदस्य डॉक्टर राजेश धीरावाणी ने मेडिकल यूनिवर्सिटी के पहले एग्जाम कंट्रोलर डॉक्टर पुष्पराज सिंह बघेल को फिर लाने का प्रस्ताव रखा था। जबलपुर मेडिकल कॉलेज में पदस्थ डॉक्टर बघेल पर आरोप लग चुका है कि एग्जाम कंट्रोलर रहते हुए उन्होंने सोशल मीडिया पर रिजल्ट घोषित कर दिया था। यह टेबलेशन शीट थी। कार्रवाई से बचने को वह आनन-फानन में मई 2019 में प्रतिनियुक्त समाप्त कराकर मेडिकल कॉलेज में वापस हो गए थे। हालांकि कार्यपरिषद ने इस प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया है, लेकिन बैकडोर से इंट्री दिलाने की कवायद तेज हो गई है।