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जबलपुर

MP Medical University घोटाले में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई, कई अधिकारी हटाए गए

-चिकित्सा शिक्षा विभाग करवा रहा था जांच

जबलपुरJul 06, 2021 / 11:00 am

Ajay Chaturvedi

एमपी मेडिकल यूनिवर्सिटी

एमपी मेडिकल यूनिवर्सिटी

जबलपुर. प्रदेश की इकलौती MP Medical University में विद्यार्थियों के भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ के मामले में अब तक की लृसबसे बड़ी कार्रवाई की गई है। कई अधिकारियों को उनके पदों से हटा दिया गया है। यहां तक कि रिजल्ट बनाने वाली कंपनी को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
बता दें मध्य प्रदेश में व्यापमं घोटाल के बाद एमपी मेडिकल यूनिवर्सिटी के मामले को भी उसी के समानांतर माना जा रहा था। रिजल्ट बानाने वाली कंपनी पर आरोप रहा कि परीक्षा विभाग से सांठगांठ कर ऐसे विद्यार्थियों को पास कर दिया गया जिन्होंने परीक्षा दी ही नहीं। इतना ही नहीं प्रैक्टिकल में नंबर बढ़ाए गए। इस पूरे खेल में परीक्षा नियंत्रक और उनके पूरे स्टॉफ पर उंगलियां उठ रही थीं।
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बता दें कि एमपी मेडिकल यूनिवर्सिटी घोटाले को पत्रिका ने अभियान के रूप में लिया। लगातार इस पर खबरें कीं। इसी का परिणाम रहा कि चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने दो जून को जांच के निर्देश दिए थे। मामले में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉक्टर जेके गुप्ता, वित्त नियंत्रक आरएस डेकाटे और लेखाधिकारी राकेश चौधरी के साथ भोपाल से तीन तकनीकी विशेषज्ञों को जांच समिति में नामित किया गया था। धीरे-धीरे घोटाले की एक-एक कड़ी खुलती गई और अंततः बड़ी कार्रवाई हुई।
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कोरोना की दूसरी लहर में चलता रहा फर्जीवाड़े का खेल

अप्रैल में कोरोना संक्रमित होने पर प्रभारी एग्जाम कंट्रोलर डॉ. वृंदा सक्सेना अवकाश पर थीं, तब एक अन्य अधिकारी को परीक्षा नियंत्रक का प्रभार सौंपा गया, लेकिन अवकाश पर रहते हुए परीक्षा नियंत्रक ने डेंटल और नर्सिंग पाठ्क्रम के प्रेक्टिकल परीक्षा के अंकों में बदलाव के लिए माइंडलॉजिक्स कंपनी को ई-मेल किया। यही नंबर कंपनी के असिस्टेंट मैनेजर सुधीर शर्मा ने पोर्टल में दर्ज किए। अंकों में परिवर्तन से पूर्व कंपनी ने न तो तत्कालीन प्रभारी परीक्षा नियंत्रक और न ही कुलपति से अनुमोदन प्राप्त किया। इसी शिकायत पर कुलसचिव डॉक्टर जेके गुप्ता की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति ने जांच की तो निजी कंपनी की परीक्षा परिणाम की प्रक्रिया में कई गड़बड़ी उजागर हुई।
रिजल्ट बनाने वाली कंपनी शुरू से रही संदेह के घेरे में

आरोप है कि मेडिकल विश्वविद्यालय में रिजल्ट बनाने वाली कंपनी माइंडलॉजिक्स इंफ्राटेक ने सॉफ्टवेयर में बदलाव कर एग्जाम कंट्रोलर डॉक्टर वृंदा सक्सेना और गापेनीय विभाग के बाबू नीलेश जायसवाल के निजी ईमेल अंक भेजे थे। उनके कहने पर छात्रों के अंक में बदलाव किए गए। कोविड के चलते एग्जाम कंट्रोलर अवकाश पर रहीं, तब भी उनके निजी मेल पर परीक्षा परिणाम भेजे गए और उसमें बदलाव किए गए। कई ऐसे छात्रों को पास कर दिए, जो फेल थे। वहीं परीक्षा में न शामिल होने वाले भी कुछ छात्र को पास कर दिए गए।
इस मामले में गठित जांच समिति ने माइंडलॉजिक्स कंपनी के सिस्टम की जांच के लिए राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से 3 आईटी विशेषज्ञ बुलवाए। इन विशेषज्ञों को जांच में सहयोग के लिए परीक्षा नियंत्रक डॉ. वृंदा सक्सेना को निर्देश दिए गए, लेकिन वे सरकारी कार्य का हवाला देकर भोपाल चली गईं। जांच समिति ने रिपोर्ट में कहा है कि नियंत्रक ने आईटी विशेषज्ञों को कंपनी से आवश्यक जानकारी उपलब्ध नहीं कराई और न ही अपना प्रभार किसी को सौंपा।
सोमवार को मेडिकल यूनिवर्सिटी में परीक्षा गड़बड़ियों के मामले में की गई बड़ी कार्रवाई

सोमवार को मेडिकल यूनिवर्सिटी में परीक्षा गड़बड़ियों के मामले में बड़ी कार्रवाई की गई। इसके तहत कई के प्रशासनिक प्रभार में भी बदलाव किया गया। एग्जाम कंट्रोलर डॉक्टर वृंदा सक्सेना को हटाए जाने के बाद उप कुलसचिव प्रो. वीवी सिंह को परीक्षा नियंत्रक का प्रभार सौंपा गया है। कुछ दिन पहले ही कुलपति डॉक्टर टीएन दुबे ने परीक्षा नियंत्रक के पर कतरते हुए प्रो. वीवी सिंह को परीक्षा एवं गोपनीय विभाग में अहम जिम्मेदारी सौंपी थी। इस फेरबदल में विवि में उपकुलसचिव (अतिरिक्त प्रभार) डॉ. तृप्ति गुप्ता की प्रतिनियुक्ति पर ली गई सेवा भी चिकित्सा शिक्षा विभाग को वापस कर दी गई है।
कार्रवाई एक नजर में

मध्यप्रदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी में पास-फेल करने के मामले में बड़ी कार्रवाई की गई। रिजल्ट बनाने वाली ठेका कंपनी माइंडलॉजिक्स इंफ्राटेक को टर्मिनेट कर दिया गया है। गोपनीय विभाग के बाबू नीलेश जायसवाल को निलंबित कर दिया गया। जांच में घिरी इंदौर मेडिकल कॉलेज से प्रतिनियुक्ति पर आई एग्जाम कंट्रोलर डॉक्टर वृंदा सक्सेना की प्रतिनियुक्ति सेवा समाप्त कर दी गई है। वहीं उपकुलसचिव(अतिरिक्त प्रभार) डॉ. तृप्ति गुप्ता को भी उनके मूल विभाग में वापस कर दिया गया। चिकित्सा शिक्षा विभाग के निर्देशों पर यूनिवर्सिटी में कराई गई जांच में परीक्षा और गोपनीय विभाग की धांधली उजागर हुई थी।
छात्रनेताओं ने भी उठाया था मामला

इस मामले में छात्रनेता अंशुल सिंह, शुभम, संदेश, हीरेंद्र सहित अन्य ने चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग से मिलकर व्यापम की तर्ज पर परीक्षा घोटाला का आरोप लगाया था। आरोपों में कहा गया कि एमयू से परीक्षा को लेकर अनुबंधित कंपनी माइंडलॉजिक्स कंपनी ने पास-फेल का खेल रचा है। आश्चर्यजनक तरीके से उपस्थित छात्र फेल और अनुपस्थित पास हो गए। मार्क्स एंट्री पोर्टल में नंबर में भी फेरबदल किया गया।

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