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जबलपुर

बीते साल की खट्टी-मीठी यादों को स्मरण कर मनाया Global family day 2021

-कोरोना काल में संक्रमण के बाद जब मित्रों से मिला अपनापन

जबलपुरJan 01, 2021 / 04:56 pm

Ajay Chaturvedi

Global family day 2021

Global family day 2021

जबलपुर. Global family day 2021 पर कुछ परिवारों ने अपने बीते दिनों की यादें साझा कीं। खास तौर से कोरोना काल की वो यादें जिन्हें वो ताजिंदगी भूल नहीं सकते। वो कैसे कोरोना पॉजिटिव हुए और कैसे लोगों ने उनका साथ दिया। स्वस्थ होने पर कैसे लोगों ने उनका खैरमकदम किया। वो लमहे जो दिल-दिमाग में चिरस्थायी हो गए हैं।
बता दें कि एक जनवरी को संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक परिवार दिवस या ग्लोबल फैमिली दिवस घोषित किया है। इस दिन का उद्देश्य विश्व शांति है। इस दिन परिवार को लोग साथ आए और एकजुट समाज की रचना करें, यही इस दिवस का उद्देश्य है। ऐसे में मौजूदा दौर में वैश्विक शांति की कामना के साथ नए वर्ष का स्वागत लाजमी है। लिहाजा शहर में भी ऐसे कई उदाहरण हैं जो विपरीत परिस्थितियों के बावजूद वैश्विक परिवार की परिभाषा को चरितार्थ करते रहे। शारीरिक दूरी बनाकर परिवार की तरह एक-दूसरे का साथ दिया।
अब बात करते हैं मदन महल निवासी परमार्थ (परिवर्तित नाम) से, वो बताते हैं जब वह कोरोना पॉजिटिव हुए तो लगा कि सब कुछ खत्म हो जाएगा। मन निराशा से डूब गया। लेकिन तभी अस्पताल का स्टॉफ भगवान बन कर सहयोग के लिए खड़ा हो गया।
उन्होंने जिस तरह मेरे ही नहीं बल्कि अस्पताल में भर्ती सभी कोरोना पॉजिटिव मरीजों संग बर्ताव किया। जिस ढंग से उन्होंने हमारी सेवा की, उससे यह महसूस हुआ कि मैं अपने परिवार के साथ ही हूं। फिर जब स्वस्थ हो कर घर लौटा तो कॉलोनी प्रत्येक सदस्य ने छत, आंगन, बालकनी में खड़े होकर मेरा स्वागत तालियां बजाकर किया। यह देख मेरी आंखों में आंसू छलक आए थे। आज वैश्विक परिवार दिवस पर मुझे लगा कि मेरे आसपास रहने वाले लोगों को धन्यवाद देने का इससे बेहतर अवसर नहीं हो सकता, जिन्होंने न सिर्फ मेरे ठीक होने की कामना कि बल्कि मेरे परिवार का भी ध्यान रखा।
ऐसे ही यादव कॉलोनी निवासी अरविंद सिंह (परिवर्तित नाम) बताते हैं कि वह खुद और पत्नी दोनों ही कोरोना संक्रमित हो गए। हमारे दो बच्चे (हाई स्कूल के छात्र) जिनकी रिपोर्ट निगेटिव आई थी को घर पर छोड़ कर हम दोनों को अस्पताल जाना पड़ा। ऐसे में हमारे पड़ोसियों ने बच्चों का परिवार के सदस्य की तरह ही ध्यान रखा। बच्चों से समय-समय पर हमारी फोन पर बात होती रही, तब बच्चों ने हमेशा बताया कि वे अच्छे से हैं और सभी अंकल-आंटी उन लोगों का पूरा ध्यान रख रहे हैं। कोरोना के कारण जरूर लोगों के बीच शारीरिक दूरी आई, लेकिन हमें लगता है कि कोरोना के कारण सभी लोग एक परिवार के समान व्यवहार भी कर रहे हैं।

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