उनका कहना था कि जानकर आश्चर्य हुआ कि गत आठ माह से मप्र राज्य सूचना आयोग की बेवसाइट निष्क्रिय रही। प्रदेश की जनता इस कार्यालय तक पहुंचने से वंचित रही। यह सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 4 का स्पष्ट उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि इस विषय पर गंभीरता से कार्रवाई की जाए। यदि ऐसा नहीं होता तो समस्त आरटीआई कार्यकर्ता न्यायालय की शरण लेंगे। इसी प्रकार मानसून सत्र में भी यह विषय मुद्दा रहेगा।