scriptयहां था आजादी का शेरदिल मतवाला…अंग्रेजी फौज के सामने सीना तानकर बोला-वंदे मातरम, बुजदिलों ने माथे पर मार दी गोली | Said in front of the English army- Vande Mataram, bullets shot | Patrika News
जबलपुर

यहां था आजादी का शेरदिल मतवाला…अंग्रेजी फौज के सामने सीना तानकर बोला-वंदे मातरम, बुजदिलों ने माथे पर मार दी गोली

जबलपुर शहर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कोमलचंद जैन ने भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान शहीद गुलाब सिंह का किया स्मरण
 
 

जबलपुरAug 09, 2020 / 08:11 pm

shyam bihari

indian flag

indian flag

जबलपुर। ‘वह सीने में गोली खाकर गिर गया, लेकिन तिरंगा हाथ से नहीं छूटा। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन में जबलपुर के 17 वर्षीय नौजवान ने भी अपने प्राणों की आहुति दी थी। उस नौजवान का नाम था गुलाब सिंह..। भारत छोड़ो आंदोलन के साक्षी व सहभागी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लार्डगंज निवासी 91 वर्षीय कोमलचंद जैन ने अपनी स्मृतियों के झरोखे भावुक देने वाली दास्तान सुनाई। जैन ने बताया, ’14 अगस्त 1942 को घमंडी चौक की ओर से क्रांतिकारी युवकों का एक समूह फुहारे की ओर आ रहा था। फौज की उनसे बहस हो गई। देखते ही देखते फौज गोलियां बरसाने लगी। नेतृत्व कर रहे 17 साल के नौजवान गुलाब सिंह ने अंग्रेजी फौज को देखते ही जोरदार स्वर में वंदे मातरम का जयघोष किया। तभी अंग्रेजी सेना की एक गोली उनके माथे में जा धंसी और वे वहीं गिर पड़े। इस मंजर को जिसने भी देखा, वह आंसू रोक नहीं पाया।Ó जैन ने बताया, ‘भारत छोड़ो आंदोलन की घोषणा होते ही नौ अगस्त 1942 को इसके समर्थन में शहर की तिलकभूमि तलैया में आमसभा रखी गई। एक सप्ताह तक हड़ताल करने का निर्णय लिया गया। 11 अगस्त को फुहारे पर आंदोलन कर रहे सत्याग्रहियों पर पुलिस ने लाठियां बरसाईं। इससे आंदोलन उग्र हो गया था।Ó जैन ने 1942 की अगस्त क्रांति की यादें साझा करते हुए बताया, ‘महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन की आग संस्कारधानी के निवासियों के दिलों में भी धधक रही थी। वे उस समय 14 साल के थे। भवानी प्रसाद तिवारी, सवाईमल जैन, मुलायम चंद जैन व रामगोपाल सोनी उनके मित्र थे। जब भी अंग्रेजी सरकार के खिलाफ कोई आंदोलन या आह्वान होता, बुजुर्गों के साथ वे भी इनमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे।

शहादत से खौल उठा था मध्यभारत

स्मृतियों को कुरेदते हुए कोमलचंद जैन ने कहा कि ’14 अगस्त को हल्की बारिश हो रही थी। मैं दोस्तों के साथ खेल रहा था। तभी दोस्तों ने कहा कि महात्मा गांधी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इसके विरोध में प्रदर्शन करना है, चलो फुहारा चलते हैं। आनन-फानन में सभी घमंडी चौक पहुंच गए। वहां फौज तैनात थी। घमंडी चौक पर फुहारे से निकले जुलूस पर पुलिस ने गोलियां बरसाईं, जिसमें गुलाब सिंह शहीद हो गए। इस घटना ने संस्कारधानी सहित पूरे महाकोशल क्षेत्र में करो या मरो की भावना को और प्रबल करने में अहम भूमिका निभाई। जैन ने बताया कि फूलचंद श्रीवास, बल्लू दर्जी, बाबूलाल गुप्त, प्रभादेवी सराफ, नेमचंद जैन, नेमीचंद जैन, नारायण प्रसाद अग्रवाल, नारायण दास जैन, नन्हे सिंह ठाकुर, नर्मदा प्रसाद सराफ, पन्नालाल जैन, द्वारका प्रसाद अवस्थी, देवीसिंह जाट, देवीचरण पटेल, देवनारायण गुप्त, देवनारायण शुक्ला सहित जबलपुर के कई ज्ञात-अज्ञात सेनानियों ने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इसके लिए अंग्रेजों की प्रताडऩा सही व जेल गए।

आजादी की संघर्ष गाथा शहर की रगों में भी थी
5 से 7 अगस्त 1942 को मुम्बई में आयोजित भारतीय कांग्रेस महासमिति की बैठक में भारत छोड़ो आंदोलन के प्रस्ताव की बात चली। इसे नौ अगस्त से शुरू करने की बात कही गई। बैठक के बाद देशभर में तैयारियां शुरू हो गई। आठ अगस्त 1942 की रात में ही मुम्बई में मौजूद प्रमुख नेताओं के साथ देशभर के प्रमुख नेताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। जबलपुर में भी बाबू गोविंददास और द्वारका प्रसाद मिश्र को लौटते समय ट्रेन में भी गिरफ्तार कर लिया गया। लेखक एवं शहर इतिहास जानकार लक्ष्मीकांत शर्मा ने बताया कि 1942 में पुलिस से बचते हुए कुछ कार्यकर्ता जबलपुर पहुंचे और अंडरग्राउंड हो गए। नौ अगस्त की सुबह पुलिस हरकत में आई और सुबह होने के पहले ही नगर कांग्रेस के अध्यक्ष भवानी प्रसाद तिवारी और उनके सहयोगियों को गिरफ्तार कर लिया। इसमें कुंजीलाल दुबे, लक्ष्मण सिंह चौहान, नरसिंहदास अग्रवाल, नर्मदा प्रसाद मिश्र मुख्य रूप से शामिल थे। गिरफ्तार नेताओं की कोई जानकारी न मिलने के कारण शहर में टेलीफोन के तार काटना, पोस्ट ऑफिस जलाने के साथ पुलिस की मुठभेड़ होने लगीं। उसी समय तिलक भूमि तलैया के मंच पर गेरुआ वस्त्रधारी संन्यासी अयोध्यानंद और शिवानंद सरस्वती पहुंचे और युवाओं को ओजस्वी भाषण देकर अंग्रेजों के खिलाफ बगावत की ज्वाला भड़का दी। 9 अगस्त 1942 को शहर में देशभक्त युवाओं के विद्रोह का तांडव फिरंगियों के खिलाफ खूब देखने को मिला।

Home / Jabalpur / यहां था आजादी का शेरदिल मतवाला…अंग्रेजी फौज के सामने सीना तानकर बोला-वंदे मातरम, बुजदिलों ने माथे पर मार दी गोली

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो