सडक़ पर पुष्पवर्षा हो रही थी। श्रृद्धालु कीर्तन कर रहे थे। गुरु ग्रंथ साहिब की पुष्पसज्जित सवारी निकली तो हर किसी ने माथा टेका। सवारी के ठीक पहले पीत वस्त्रधारी पंज प्यारे नंगे पांव, हाथों में कृपाण लेकर चल रहे थे। श्रद्धालुजन पंज प्यारों को पुष्पहार अर्पित कर दूध के प्याले पेश कर चरण स्पर्श कर रहे थे। पालकी वाहन के पास श्रद्धालु कीर्तन और मिष्ठान प्रसाद वितरित करते हुए चले। बैंड दल, घोड़े, पंजाबी संस्कृति, गुरु की झांकियां आकर्षण का केंद्र रहीं। महानद्दा, शास्त्री ब्रिज, तीन पत्ती, सिविक सेंटर होते हुए जुलूस मढ़ाताल गुरुद्वारा में सम्पन्न हुआ।
जयकारों की गूंज
जुलूस मार्ग पर नौजवानों की पैदल तथा वाहनों पर सवार टोलियों ने जयकारे लगाए। मार्ग वाहेगुरुजी का खालसा, वाहेगुरुजी की फतेह, बोले सो निहाल सतश्रीअकाल के घोष से गूंज उठा। इस दौरान वाद्य यंत्रों की धुन के बीच नानक नाम जहाज है चंढे सो उतरे पार… तथा सतगुरु नानक प्रगटया मिटी धंधु जग चानण होआ आदि गुरु की पवित्र वाणी ने श्रद्धालुओं को मुग्ध कर दिया। गुरुनानकजी की लीलाओं, सिख धर्म के वीरता से आेतप्रोत तैलचित्र, गतंका, भांगड़ा, तथा अन्य प्रस्तुतियां दी गई। स्कूली छात्रों ने ड्रिल, पीटी, डांडिया, नृत्य प्रस्तुत किया।
प्रसाद के स्टॉल
जुलूस मार्ग पर हर वर्ग समुदाय की ओर से स्वागत मंच लगाए गए थे। जगह-जगह पेयजल, चाय, खीर और मिष्ठान्न वितरित किया गया। जुलुस में सरदार प्रतापसिंह विरदी, गुरदेवसिंह रील, कुलदीप सिंह बंसल, एमएस नागी, अवतार सिंह बगा, हरीनारायण तलवार, हरदीप सिंह जस्सल शामिल थे।
सदर में आयोजन 23 को
गुरुनानक जयंती पर 23 नवंबर को सदर शिवाजी मैदान में कार्यक्रम होगा। इस दिन को प्रकाशपर्व के रुप में मनाया जाएगा।