यह है मामला
चरगवां, जिला जबलपुर निवासी अजीत जैन व उनके पुत्र अंकित जैन की ओर से आपराधिक अपील विशेष न्यायाधीश एससीएसटी एक्ट जबलपुर के फैसले के खिलाफ दायर की गई थी। इसमें कहा गया कि वे बस संचालक हैं। उनकी बस के ड्राइवर ने वेतन के विवाद पर पिता-पुत्र के खिलाफ चरगवां थाने में झूठी शिकायत की। पुलिस ने उनके खिलाफ एससीएसटी एक्ट व भादंवि की विभिन्न धाराओं के तहत एफआइआर दर्ज कर ली। इसी मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए उन्होंने विशेष न्यायाधीश की अदालत में अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल की। इसे २२ जनवरी २०१८ को खारिज कर दिया गया। इसी आदेश को अपील में अनुचित बताया गया। तर्क दिया गया कि डॉ. सुभाष काशीनाथ महाजन के मामले में सुको ने हाल ही में विस्तृत दिशानिर्देश दिए हैं। समुचित जांच में प्रथम दृष्ट़या दोषी प्रतीत होने पर ही सुको ने एससीएसटी एक्ट के तहत गिरफ्तारी की इजाजत दी है। इसके लिए भी जांच अधिकारी को एसएसपी स्तर के अधिकारी की अनुमति लेना अनिवार्य है। लिहाजा अपीलकर्ताओं को जांच पूरी होने तक गिरफ्तार न किया जाए। कोर्ट ने कहा कि समुचित जांच के बाद आवश्यक होने पर ही जांच अधिकारी किसी की गिरफ्तारी कर सकता है। इसके लिए भी एसएसपी स्तर के अधिकारी का अनुमोदन जरूरी है। जांच अधिकारी को इस प्रकार की गई गिरफ्तारी का स्पष्ट कारण भी लिखित उल्लेख करना होगा। डॉ. सुभाष काशीनाथ के मामले पर सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का पालन किए बिना की गई गिरफ्तारी अवैध होगी। इस मत के साथ कोर्ट ने अपीलकर्ताओं को गिरफ्तारी से छूट दे दी। कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ताओं को मामले के विचारण के दौरान कोर्ट में बुलाया जा सकता है।