अब खुद किया जा रहा ऑनलाइन आवेदन मानव संसाधन विभाग ने यह फैसला पिछले कई दिनो से आ रही स्कूल प्रचार्यों के खिलाफ आ रही शिकायतों को आधार मानते हुए किया है। शिकायतों में विशेषकर यह कहा जा रहा था कि, प्रचार्यों की मनमानी के चलते योग्य शिक्षकों को यह सम्मान नहीं मिल पा रहा। शिकायतें मिलने के बाद विभाग ने जांच भी की जिसमें पाया कि, कई मामलों में शिकायत सही की गई थी। इसके तहत विभाग ने फैसला लेते हुए कहा कि, अब से प्रचार्यों की मनमर्जी नहीं चल सकेगी। शिक्षक खुद ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए ऑनलाइन आवेदन कर पुरस्कार का दावा कर सकते हैं।
पिछले तीन सालों से किसी को नहीं मिला यह सम्मान मामला सामने आने के बाद मंत्रालय ने पाया कि, राष्ट्रपति पुरस्कार के चयन में लापरवाही और पक्षपात किया जा रहा है। इसमें प्रचार्य अपने करीबी शिक्षको का नाम ही सम्मान के लिए दे रहे थे। इसके बाद चयन प्रक्रिया में बदलाव करते हुए आवेदन की अंतिम तारीक भी जारी कर दी गई है। योग्य शिक्षक पुरस्कार पाने के लिए अपनी योग्यताएं ऑनलाइन भरके 30 जून तक आवेदन कर सकते हैं। बता दें कि, पिछले तीन सालों से स्कूल प्राचार्यों की उदासीनता के चलते किसी भी शिक्षक को राष्ट्रपति पुरस्कार नहीं मिल सका है।
अब यह होगा चयन का तरीका सम्मान के लिए अब खुद शिक्षक 30 जून तक मानव संसाधन विकास विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसमें शिक्षको को ऑनलाइन पोर्ट फोलियो बनाकर शिक्षा, समाज के क्षेत्रों में किए कार्यों का आधारभूत विवरण, फोटो, आडियो-वीडियो व अन्य दस्तावेज ऑनलाइन सत्यापित कर जमा करने होंगे। जानकारी गलत होने पर शिक्षक पर कार्रवाई की जाएगी।
इन दस्तावेजों की जांच डीईओ की अध्यक्षता में बनाई गई टीम द्वारा की जाएगी। समिति में राज्य सरकार का एक प्रतिनिधि, कलेक्टर द्वारा नामांकित शिक्षाविद रहेंगे। जिला स्तरीय समिति शिक्षकों के दस्तावेजों का वेरीफिकेशन कर शिक्षकों के चयनित नाम राज्य स्तरीय समिति को भेजेगी। ये समिति मानव संसाधन विभाग को भेजकर पुरस्कार की अनुशंसा करेगी।
पहले यह था चयन का तरीका विभाग द्वारा चयन प्रक्रिया में बदलाव ना होने से पहले डीडीओ (संकुल प्राचार्य) से पुरस्कृत करने के लिए शिक्षकों के नाम लिए जाते थे। फिर डीईओ कार्यालय में संबंधित शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच होने के बाद भी शिक्षकों का कोटा पूरा नहीं हो पाता था। ऐसे में प्रचार्य खानापूर्ती करने के लिए अयोग्य शिक्षको ने नाम भी उस सूचि में जोड़ देते थे, जिनका समाज में किसी तरह का योगदान ही ना रहा हो।