ऐसे में माना ये जा रहा है कि निजी स्कूल प्रबंधन को बच्चों की पढ़ाई से ज्यादा मनमानी फीस वसूली की चिंता खाए जा रही है क्योंकि सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि स्कूल केवल ट्यूशन फीस ही ले सकते हैं। ऐसे में स्कूल प्रबंधन की सोच है कि जब सारे स्कूल खुलने लगेंगे तो वो पहले की तरह मनमानी वसूली भी कर पाएंगे। लिहाजा वो बराबर स्कूलों को पहले की तरह पूरी तरह से खोलने की मांग कर रहे हैं।
इधर जिला शिक्षा अधिकारी का दावा है कि विगत 9 अक्टूबर से सरकारी स्कूलों में कक्षा 9 से 12वीं तक के स्कूल खुले हुए हैं, जहां अभिभावकों की रजामंदी से विद्यार्थी आ रहे हैं। हालांकि उपस्थिति का प्रतिशत 30-40 फीसद ही है। जिला शिक्षा अधिकारी सुनील कुमार नेमा का भी मानना है कि जिले के करीब 200 सरकारी स्कूलों में अभी अधिकतम 40 फीसद उपस्थिति ही रिकॉर्ड की गई है। उनके अनुसार किसी भी विद्यार्थी पर स्कूल आने के लिए दवाब नहीं बनाया जा रहा है, जो भी विद्यार्थी अभिभावक की सहमति से आना चाहे उनके लिए स्कूल खुले हुए है। बोर्ड परीक्षा के लिहाज से विद्यार्थी अपनी समस्याओं का समाधान स्कूल में आकर कर सकते हैं। शेष विद्यार्थियों की आनलाइन पढ़ाई जारी है।
बावजूद इसके निजी स्कूल संचालक 14 दिसंबर से हड़ताल करने का अल्टीमेटम दे चुके हैं। वो बराबर सरकार पर स्कूलों को पहले की तरह खोलने का दबाव बना रहे हैं। ऐसे में संभव है कि विभाग स्कूल खोलने का आदेश जारी कर दे। अब तो जिला शिक्षा अधिकारी भी शासन स्तर पर स्कूल खोलने से संबंधित नए आदेश जारी होने की उम्मीद जताने लगे है। दरअसल स्कूल संचालक शासन के निर्देश के तहत सिर्फ विद्यार्थियों से ट्यूशन फीस ही वसूल सकते हैं। ऐसे में वो अन्य शुल्क नहीं ले पा रहे जिसके लिए वो लगातार दबाव बना रहे हैं।
ऐसे में ये उम्मीद जताई जा रही है कि निजी स्कूल प्रबंधन के दबाव में दो-चार दिन के भीतर ही स्कूल खोलने को लेकर कोई फैसला हो जाय।