जानकारी के अनुसार एक बुजुर्ग को उनके बेटे-बहू ने घर से निकाल दिया था, इस मामले में पिता एसडीएम कोर्ट में पहुंचा, जहां बेटे को भी बुलाया और एसडीएम ने दोनों बाप-बेटे को बिठाकर उनका बचपन याद दिला दिया, बेटे से कहा कि तुम्हें बचपन में ये ही पिता कितने दुलार से पालते थे, तुम्हें याद है जब तुम छोटे थे तो पापा किस तरह तुम्हें संभालते थे, इसलिए बुजुर्ग भी बच्चे की तरह होते हैं, अब तुम्हारा फर्ज कि तुम अपने पिता को बच्चे की तरह संभालों, इसी दौरान उन्होंने पिता को भी समझाया कि तुम बचपन में अपने बेटे की छोटी-छोटी गलती को भूल जाते थे, उसकी नादानी समझते थे, इसलिए अब भी अगर वो कोई गलती करता है तो उसे नजर अंदाज करो, वह तुम्हारा ही बेटा है, उन्होंने कहा कि अब बेटे की भूल को माफ कर दीजिए। इस प्रकार एसडीएम की बातों को सुनकर बेटे और पिता की आंखों में आंसू छलक आए। इसके बाद बेटे ने पिता से माफी मांगी और उन्हें अपने साथ ले जाने के लिए तैयार हो गया।
बेटे ने कोर्ट में ही धोए पिता के पैर
कोर्ट में दोनों को समझाने के बाद जब वे भावुक हो गए तो दोनों की आंखों से आंसू छलक उठे, ऐसे में एसडीएम ने कोर्ट में ही बाल्टी मंगवाई, जिसमे पानी भरवाकर मंगवाया, इसके बाद बेटे ने पिता के पैर बाल्टी में रखकर धोए, वहीं कान पकड़कर माफी भी मांगी कि अब कभी कोई गलती नहीं करूंगा, अगर कोई गलती हो तो मुझे दो थप्पड़ मार देना, इसके बाद वह अपने पिता को साथ ले गया और हमेशा अपने साथ रखने की बात कही।
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ये था विवाद का पूरा मामला
दरअसल 80 वर्षीय पिता आनंद गिरी ने शिकायत दर्ज कराई थी, उनका बेटा तामेश्वर और बहू सुलोचना उन्हें प्रताडि़त करते है, उन्हें घर से निकालने पर उतारू हैं, वहीं सरकार द्वारा दिए गए प्लॉट पर बने मकान पर भी कब्जा कर लिया है, बेटा जान लेने का प्रयास करता है, इस बात को सुनकर एसडीएम ने बेटे और पिता को कोर्ट में बुलवाया, जहां दोनों को बचपन के दिन याद दिलाकर समझाइश दी गई। इसके बाद दोनों हंसी खुशी से एक साथ घर गए।