हालांकि मोखा ने पुलिस की पूछताछ में यह भी कहा है कि उसे रेमडेसिविर इंजेक्शन के नक़ली होने का पता नहीं था। इस इंजेक्शऩ के लगाते ही जैसे ही मरीजों को रिएक्शन होने लगा तो इंजेक्शन नष्ट करवा दिए। मोखा ने पुलिस को दिए बयान में कहा है कि आरोपी सपन जैन ने उन्हें मिसगाइड किया।
जानकारी के मुताबिक सरबजीत मोखा ने पूछताठ में बॉबी मनचंदा और संजू खत्री के नाम भी लिए हैं। ये दोनों ही मोखा परिवार के ख़ास राज़दार हैं। इसके अलावा मोखा ने पुलिस को बताया कि हमारे अस्पताल में एक प्रॉक्यरमेंट डिपार्टमेंट है। इस डिपार्टमेंट को देवेश चौरसिया चलाता था, जब कहीं भी इंजेक्शन नहीं मिले तो, देवेश ने ही इंजेक्शन का इंतजाम करने को कहा था। फिर मेरी हामी के बाद पूरी डीलिंग देवेश और सपन के बीच हुई। मैने अभी तक सपन को उन इंजेक्शन का भुगतान भी नहीं किया है, पुलिस चाहे तो इस बाबत सपन से पूछताछ कर सकती है। उसने कहा कि हॉस्पिटल और अपनी छवि बचाने के लिए ही मैंने इंजेक्शन नष्ट करवाए थे।
बता दें कि पुलिस ने सरबजीत को बुधवार को केंद्रीय कारागार से ला कर कोर्ट में पेश किया और अदालत से उसे रिमांड पर देने संबंधी आवेदन किया जिस पर पुलिस को तीन की रिमांड मिल गई। यहां यह भी बता दें कि गिरफ्तारी के वक्त सरबजीत के कोरोना संक्रमित होने के कारण ही पुलिस उससे पूछताछ नहीं कर पाई थी और उसे सीधे जेल के कोविड बैरक में भेज दिया गया था। उसकी कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद उसे जिला अदालत में पेश किया गया। इससे पहले मंगलवार को ही मुख्य आरोपी के बेटे हरकरण की तीन दिनों की रिमांड अदालत ने स्वीकृत की थी।
यहां यह भी बता दें कि नकली रेमडेसिविर रैकेट में मुख्य आरोपी सरबजीत सिंह मोखा पर अपने ही अस्पताल में भर्ती 171 मरीजों को 209 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाने का आरोप है। आरोप ये भी है कि मोखा ने अपने करीबियों से 500 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन जबलपुर मंगाए थे। अब तक इस मामले में सरबजीत सिंह मोखा, उसकी पत्नी जसमीत मोखा, अस्पताल एडमिनिस्ट्रेटर सोनिया शुक्ला, अस्पताल मैनेजर देवेश चौरसिया, दवा व्यापारी सपन जैन, फार्मास्यूटिकल कंपनी में इंदौर में कार्यरत राकेश शर्मा समेत गुजरात के आरोपी और सरबजीत का बेटा हरकरण मोखा गिरफ्तार हो चुके हैं।