दीपिका सोनी @ जबलपुर। मोबाइल पर आप इंटरनेट चला रहे हैं तो होशियार रहें! अनजान यूजर्स सोशल मीडिया के जरिए आपकी भावनाओं से न केवल फरेब कर रहे हैं बल्कि जरूरतमंदों के हक पर डाला डाल रहे हैं। इन लोगों ने सोशल वल्र्ड पर कब्जा कर लिया है। मनचाहे पोस्ट किए जाते हैं इसमें किसी का फायदा हो या नुकसान हो, इस बात की फिक्र किसी को नहीं होती है।
एक सर्वे के अनुसार सोशल मैसेजिंग कंपनियां इस तरह के धर्म, करुणा और विद्रोह की भावनाओं को भड़काने वाले मैसेज बनाती हैं और उन्हें किसी व्यक्ति विशेष, ग्रुप्स और पेजेस पर पोस्ट करती हैं। जबकि इस तरह के संदेशों से न सिर्फ जन भावनाएं आहत होती हैं, बल्कि जो हकीकत में सेवा और परोपकार के काम से जुड़े होते हैं उन तक जरूरतमंद पहुंच ही नहीं पाते।
ये है हकीकत-
केस-1: पैसों की जरूरत का बहाना
इंदौर की रहने वाली 20 वर्षीय रूचि तिवारी ने नंबर के साथ मैसेज फॉरवर्ड किया है। जिसने लीवर इंफेक्शन का ऑपरेशन करवाने 33 लाख रुपयों की जरूरत बताई है। यह भी लिखा गया है कि वह केवल 5 महीनों की मेहमान है। अगर मैसेज जोक लगता है तो इस नंबर पर फैमिली से बात कर सकते हैं। जबकि उक्त नंबर पर किसी दूसरे व्यक्ति ने फोन उठाकर रॉन्ग नंबर बताया।
केस-2: इलाज की झूठी खबर
पीएम की अमृतम योजना का मैसेज वॉट्स एप ग्रुप्स और फेसबुक पर चल रहा है। जिसमें ईमेल, ऑफिस नंबर, फैक्स और टोल फ्री नंबर दिया गया है। मैसेज में निर्धन परिवारों व 12 साल से कम उम्र के बच्चों का हर बड़े अस्पताल में 2 लाख रुपए तक का इलाज राहत फंड से राशि देकर करवाने की बात कही गई है। जब इन नंबर्स पर फोन लगाया गया तो सारे नंबर गलत निकले।
केस-3: न फोटो सही न नंबर
मैसेज में एक 2 साल की बच्ची का फोटो दिखाकर बताया गया है कि वह नरसिंहपुर के गोकुल नगर में मिली है। वहीं एक नंबर के साथ करेली निवासी प्रवेश शास्त्री के पास बच्ची का होना बताया गया है। हकीकत में यह नंबर किसी प्रवेश शास्त्री का नहीं है और न ही उस उक्त नंबर उपयोगकर्ता के पास एेसी कोई बच्ची है।
केस-4: उड़ाया राष्ट्रगान का मजाक
पिछले साल नवम्बर दिसम्बर के दौरान एक मैसेज के जरिए लोगों को बधाई संदेश प्रेषित किए गए। मैसेज में बताया गया था कि यूनेस्को द्वारा भारतीय राष्ट्रगान को विश्व का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रगान घोषित किया गया है। जबकि यूनेस्को की वेबसाइट पर एेसी कोई घोषणा नहीं की गई थी। यूजर्स ने बिना सत्यता जाने देश का अंधा भक्त होने का प्रमाण देते हुए धड़ाधड़ मैसेज फॉरवर्ड कर दिया।
केस-5: बच्ची का वास्ता
एक अन्य केस में गुमनाम महिला की घायल तस्वीर के साथ एक अन्य महिला की फोटो पोस्ट की है, जिसमें वह अपनी बच्ची को गोद में लिए है। मैसेज में बताया गया है कि बच्ची की मां विद्याहार स्टेशन पर ट्रेन से गिरकर घायल हुई है और वर्तमान में किसी राजावाड़ी अस्पताल में भर्ती है। हालांकि दोनों तस्वीरों में दिखाई गई महिला एक ही है, इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।
और इधर.. नुकसान जरूरतमंदों का
जबलपुर से 10 किमी दूर मुकनवारा गांव में खुले एक अस्पताल के संबंध में मैसेज ग्रुप्स में चल रहा है। सुखसागर नामक इस हॉस्पिटल के बारे में बताया गया है कि वहां 1 रूपए से 10 लाख रुपए तक का इलाज मुफ्त हो रहा है। व अन्य सभी सुविधाएं भी मरीजों को दी जा रही हैं। मैसेज में ललित सिंह नामक व्यक्ति का नंबर भी दिया गया है। हालांकि गलत संदेशों का प्रचार होने के चलते इसे भी धोखेबाजी ही समझा जा रहा है, जबकि यह 100 प्रतिशत सही निकला।
एबनॉर्मल टेंडेन्सी
सेठ गोविंददास जिला चिकित्सालय के एमडी डा. संदीप भगत का कहना है कि सोशल साइटों पर गलत जानकारी या फिर भ्रामक पोस्ट आदि करना एबनॉर्मल टेंडेन्सी कहलाती है। इस दशा में पोस्ट करने वाले व्यक्ति का मानसिक संतुलन ठीक नहीं होता है भले ही वह स्वस्थ्य दिखता हो।
सलाह: सोशल साइटों पर इस तरह के यूजर्स को देखते ही उसका ट्रीटमेंट करवाना चाहिए। हो सके तो उसके अंदर पनप रहे मोबाइल मीनिया को समाप्त करने की कोशिश करें।
पुलिस कार्रवाई – सोशल मीडिया पर भ्रांतियां फैलाना साइबर क्राइम है। ऐसे मामलों में शिकायत आने पर ही पुलिस कार्रवाई करती है।
– आशीष खरे, एएसपी, क्राइम