scriptमाता लक्ष्मी का स्वयं सिद्ध मंदिर, यहां बरसती है विशेष कृपा | Special on Deepawali: Miracles happen here, it is blessings of Lakshmi | Patrika News
जबलपुर

माता लक्ष्मी का स्वयं सिद्ध मंदिर, यहां बरसती है विशेष कृपा

– जबलपुर के पचमठा मंदिर में आधी रात को होती है साधना, तांत्रिकों के लिए साधना का विशेष केंद्र

जबलपुरOct 23, 2019 / 11:53 am

गोविंदराम ठाकरे

Deepawali 2019 : इस दिन है धनतेरस और दीपावली महापर्व- ये 7 काम करने से घर में निवास करने लगेगी माँ लक्ष्मी

Deepawali 2019 : इस दिन है धनतेरस और दीपावली महापर्व- ये 7 काम करने से घर में निवास करने लगेगी माँ लक्ष्मी

जबलपुर। दीपावली पर्वों का पैकेज है। इसमें हर वर्ग और अस्थावानों के लिए उत्सव मनाने का मौका होता है। परंपरागत पूजन-अर्चन के अलावा विशेष पद्धतियों भी अपना महत्व है। महाकौशल के संस्कारधानी कहे जाने वाली जबलपुर में एक ऐसा लक्ष्मी मंदिर भी है जहां माता लक्ष्मी स्वयं सिद्ध कहलाती हैं। ऐसा माना जाता है कि जिन्हें सिद्ध कर लिया वह कभी कंगाल नहीं रह सकता मालामाल हो जाता है। इसे पचमठा मंदिर अधारताल के नाम से जाना जाता है। यहां माता लक्ष्मी का रूप चमत्कारिक रूप से दिन में तीन बार बदलता है। सुबह बाल्यकाल दिन में किशोरावस्था और संध्या को वयस्क अवस्था में दिखाई देता है। यहां अच्छे अच्छे जानकार भी चकमा खा चुके हैं कि यह कैसे होता है । यह बताते हैं लक्ष्मी मंदिर की कुछ विशेषताएं।
गोंडवाना शासन में रानी दुर्गावती के विशेष सेवापति रहे दीवान अधार सिंह के नाम से बनाए गए अधारताल तालाब में अमावश की रात अब भी भक्तों का तांता लगता है। इसकी प्रमुख वजह है मां लक्ष्मी का अद्भुत मंदिर। इस स्थान को पचमठा मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह एक जमाने में पूरे देश के तांत्रिकों के लिए साधना का विशेष केन्द्र रहा। मंदिर के चारों तरफ श्रीयंत्र की विशेष रचना है। श्रद्धालु तो यह भी बताते हैं कि मां लक्ष्मी की प्रतिमा आज भी दिन में तीन बार रंग बदलती है। कुछ लोग केवल इसका अनुभव करने के लिए पचमठा मंदिर पहुंचते हैं और संतुष्ट होकर वापस लौटते हैं।
चरणों में सूर्य की पहली किरण
मंदिर के पुजारी कपिल कृष्ण ने बताया, मंदिर का निर्माण करीब 11 सौ साल पूर्व कराया गया था। इसके अंदरूनी भाग में श्रीयंत्र की अनूठी संरचना है। खास बात यह है कि आज भी सूर्य की पहली किरण मां लक्ष्मी की प्रतिमा के चरणों पर पड़ती है। पुजारी का कहना है, हर दिन प्रतिमा का रंग अपने आप तीन बार बदलता है। प्रात काल में प्रतिमा सफेद, दोपहर में पीली और शाम को नीली हो जाती है।
पैर रखते ही सुकून
अधारताल निवासी ऋषि मिश्रा व डीपी शर्मा का कहना है, मंदिर की सीमा में प्रवेश करते ही असीम शांति का अनुभव होता है। स्थानीय योगेन्द्र तिवारी व महेश पटेल के अनुसार मंदिर में हर शुक्रवार विशेष भीड़ रहती है। दिवाली को तो मां के दर्शन के लिए तांता लगा रहता है। कहा जाता है कि सात शुकवार मॉ लक्ष्मी के यहॉ पर आकर दर्शन कर लिये जाएं तो हर मनोकामना पूरी हो जाती है।
खुले रहते हैं पट
पचमठा मंदिर में इस समय दीपावली के विशेष पूजन की तैयारी चल रही है। आचार्यों ने बताया कि दिवाली पर मां लक्ष्मी का खास पूजन होता है। मां लक्ष्मी का विशेष अभिषेक किया जाता है। दिवाली पर मंदिर के पट पूरी रात खुले रहते हैं। दूर-दराज से लोग यहां दीपक रखने के लिए आते हैं। मध्यरात्रि तक पूरा मंदिर दीपकों की आभा से दमक उठता है। इसका आभास ही अद्भुत है।

Home / Jabalpur / माता लक्ष्मी का स्वयं सिद्ध मंदिर, यहां बरसती है विशेष कृपा

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो