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जबलपुर

तीन दिन में सुधारों जलापूर्ति, पार्षदों ने दी आन्दोलन की चेतावनी

टोंक. शहर की दो लाख की आबादी दो महीने से बूंद-बूंद पानी को तरस रही है। एक दशक में पहली बार इतना बड़ा जल संकट होने के बावजूद प्रशासन ठोस कदम नहीं उठा रहा है। सत्ता चुप्पी साधे हुए है और विपक्ष (कांगे्रस) भी एक दिन प्रदर्शन करने के बाद शांत हो गई।

जबलपुरOct 03, 2016 / 09:26 pm

pawan sharma

tonk

टोंक के गहलोद घाट के समीप बनास नदी में पाइप लाइन डालने के लिए एलएण्डटी से खुदाई करता श्रमिक।

टोंक. शहर की दो लाख की आबादी दो महीने से बूंद-बूंद पानी को तरस रही है। एक दशक में पहली बार इतना बड़ा जल संकट होने के बावजूद प्रशासन ठोस कदम नहीं उठा रहा है।
सत्ता चुप्पी साधे हुए है और विपक्ष (कांगे्रस) भी एक दिन प्रदर्शन करने के बाद शांत हो गई।वहीं उपभोक्ताओं तक पानी पहुंचाने के लिए प्रशासन पूरी तरह फेल हो चुका है।

जलदाय विभाग अब बनास नदी स्थित स्रोतों को भूलता रहा है। अब उसे आस बीसलपुर बांध की नाथड़ी परियोजना से है।
इसके अलावा विभाग बीसलपुर बांध से धोलाखेड़ा से होने वाली जलापूर्ति पर उम्मीद लगाए हुए है, लेकिन इनमें अभी काफी लम्बा समय लगेगा।

ऐसे में इसका खामियाजा शहर की बड़ी आबादी को उठाना पड़ रहा है।
हालात यह है कि हैण्डपम्पों पर एक बाल्टी पानी भरने को लेकर झगड़े तक हो रहे हैं। जिला मुख्यालय के हालात यह है कि पानी के लिए कतारें लग रही है।

इसके बावजूद इस गम्भीर समस्या का हल निकालने का प्रयास नहीं किया जा रहा है। गत 9 अगस्त को बीसलपुर बांध से बनास नदी में छोड़े गए पानी के चलते जलदाय विभाग के नदी स्थित स्रोत क्षतिग्रस्त हो गए।
ऐसे में गत 10 अगस्त से ही शहर की जलापूर्ति बाधित है। एक महीने तक तो नलों से पानी की एक बूंद नहीं टपकी।

अब तीन दिन में एक बार की जा रही जलापूर्ति भी पर्याप्त नहीं है। ये भी कई उपभोक्ताओं तक पहुंच नहीं पा रही है।
इस वजह से हुए ये हालात
जलदाय विभाग के मोलाईपुरा में 43, गहलोद घाट के समीप 27, बनास पुल के समीप 11 कुएं हैं।

इनमें से मोलाईपुरा में 23, गहलोद में 14 व बनास पुल के पास 5 खत्म हो गए थे। बनास नदी में आए पानी के बाद ये सभी कुएं रिचार्ज हो गए और सभी से एक बारगी जलापूर्ति की जाने लगी,
लेकिन बनास नदी में पानी उतरने के बाद इन कुओं के समीप बनास नदी में सड़क का निर्माण कर लिया गया।

इससे उनके समीप पानी नहीं बचा और ये कुएं फिर से सूख गए। इसके चलते जलदाय विभाग की कुछ दिनों बाद ही फिर से जलापूर्ति गड़बड़ा गई।
इसके अलावा नदी में आए पानी से नाथड़ी परियोजना की पाइप लाइनें भी क्षतिग्रस्त हो गई।

जलस्रोतों पर नहीं दिया ध्यान
जलदाय विभाग बनास नदी स्थित जलस्रोतों पर ध्यान देती तो आज शहर पानी संकट का सामना नहीं करता।
विभाग ने बनास नदी स्थित जलस्रोतों के समीप बजरी खनन की रोकथाम करने के लिए पुलिस चौकी स्थापित कराई थी, लेकिन ये चौकी कुछ दिनों में ही हट गई।

इसके चलते कुएं क्षतिग्रस्त हो गए। अब भी प्रशासन इन कुओं के समीप किए जा रहे बजरी खनन को रोकने का प्रयास नहीं कर रहा है।
दूसरी ओर जलदाय विभाग क्षतिग्रस्त हुए कुओं के स्थान पर बनास नदी में नए कुएं भी स्थापित कर सकता है लेकिन विभाग इस मामले में बजट नहीं होने का बहाना बना रहा है।


पार्षदों ने दी चेतावनी
शहर में जल संकट को लेकर कांग्रेस के पार्षदों ने जिला कलक्टर से मुलाकात की। उन्हें तीन दिन में जलापूर्ति में सुधार नहीं करने पर आन्दोलन की चेतावनी दी है।
पार्षद प्रेमचंद साहू, रामलाल सेलीवान, वसीम अकरम, मुख्तार, नाजमा बेगम समेत अन्य ने बताया कि शहर की स्थिति बिगड़ी हुई है और प्रशासन तथा सत्ता पक्ष हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।


फेक्ट फाइल
17210 कनेक्शन
2 लाख आबादी
250 लाख पानी की जरूरत
100 लाख नाथड़ी से
100 लाख नदी के स्रोतों से
10 अगस्त से जलापूर्ति ठप
81 कुएं बनास नदी में
100 ट्यूबवैल शहर में
500 हैण्डपम्प शहर में


अब कांग्रेस चुप नहीं बैठेगी
जलदाय विभाग, प्रशासन तथा सत्ता पक्ष एक पेयजल संकट वाली आपदा भी नहीं झेल सकते तो गम्भीर स्थिति में ये भाग खड़े होंगे।

जनता में गुस्सा उबल रहा है। ऐसे में कांग्रेस चुप नहीं बैठेगी। जल्द ही प्रदर्शन कर घेराव किया जाएगा।
– रामबिलास चौधरी
जिलाध्यक्ष कांग्रेस, टोंक

कुछ नहीं कर सकते
बनास नदी स्थित कुएं पूरी तरह से जवाब दे चुके हैं। ऐसे में कुछ नहीं किया जा सकता। बजट भी नहीं मिल रहा है। अब उम्मीद बीसलपुर बांध से मिलने वाले पानी से ही है।
– राजेश गोयल
अधीशासी अभियंता, जलदाय विभाग टोंक


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