जबलपुर के सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में सफल ब्रेन बायपास सर्जरी, प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेज में पहली बार हुई ब्रेन बायपास सर्जरी
जबलपुर•Oct 12, 2021 / 07:26 pm•
shyam bihari
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जबलपुर। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज, जबलपुर के सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में एक मरीज की सफल ब्रेन बायपास सर्जरी की गई। मरीज की पैर से खून की नस निकालकर गर्दन की बड़ी खून की नस को ब्रेन की खून की नस से जोड़ा गया। दिमाग में खून के संचार का नया रास्ता बनाकर मरीज को ब्रेन हेमरेज में नुकसान के खतरे से उबार लिया गया। सर्जरी के बाद मरीज की हालत में सुधार है। प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पहला मौका है, जब न्यूरो सर्जरी में किसी मरीज की सफल ब्रेन सर्जरी की गई है। कुछ दिन पहले सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में पहला सफल किडनी प्रत्योरोपण भी किया गया था।
ग्वालियर से शहर आई मरीज
ग्वालियर निवासी 36 वर्षीय महिला को पिछले महीने सिर दर्द एवं ब्रेन हेमरेज हुआ। स्थानीय डॉक्टरों ने जांच के बाद दिमाग की बायीं ओर की मुख्य नस (इंटर्नल करोटिड धमनी) में एक बड़ा ग़ुब्बारा पाया। इसे चिकित्सीय विज्ञान में ज्वाइंट एन्यरिजम कहते है। महिला की गंभीर हालत को देखते हुए ग्वालियर के डॉक्टरों ने मरीज को उपचार के लिए तुरंत दिल्ली एम्स ले जाने का परामर्श दिया था। मरीज के कुछ परिजन जबलपुर में रहते थे। उन्हें जबलपुर मेडिकल कॉलेज में न्यूरो सर्जरी की बेहतर सुविधाओं की जानकारी थी। डॉक्टरों से सम्पर्क करके मरीज को लेकर परिजन पिछले माह शहर आए। हॉस्पिटल में भर्ती करने के बाद मरीज के ब्रेन की एंजियोग्राफी की गई। इसमें ज्वाइंट एन्यरिजम होना पाया गया। इसके बाद सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में डायरेक्टर और सीनियर न्यूरो सर्जन डॉ. वायआर यादव ने सहयोगी न्यूरोसर्जन, इंटर्वेन्शन न्यूरोविज्ञान व न्यूरोनिश्चेतना विशेषज्ञों की टीम के साथ मिलकर ईसी-आईसी हाई फ्लो बाइपास करने का निर्णय लिया। करीब 15 दिन पहले मरीज की ब्रेन की सर्जरी की गई। ये सर्जरी करीब आठ घंटे तक चलीं।
हार्ट बायपास में इस्तेमाल होने वाली नस
इस सर्जरी में सामान्यत: हार्ट बायपास में इस्तेमाल की जाने वाली पैर की खून की शिरा (ग्रेट सेफनस वेन) को वैस्क्युलर सर्जन की मदद से निकाला गया। इसे मरीज के गर्दन की बायीं तरफ़ की बड़ी खून की नस (इक्स्टर्नल करोटिड धमनी) से लेकर दिमाग़ की नस ( मिडल सेरब्रल धमनी) नस से अत्यधिक बारीक टाकों से एडवांस माइक्रोस्कोप की मदद से ग्राफ्ट किया गया। मरीज की दिमाग की खून की नस के बड़े गुब्बारे जाइयंट ऐन्यरिजम को बंद किया गया। अत्याधुनिक माइक्रोस्कोप की सुविधा से आपरेशन टेबल पर ही मरीज़ की दोबारा एंजीयोग्राफ़ी कर नए बनाए रास्ते में खून का संचार को पुन: निश्चित किया गया। सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. वाय आर यादव ने बताया और महानगरों के बड़े संस्थानों में ब्रेन बायपास होते हैं। इस तरह मध्यप्रदेश में ये संभवत: पहली सर्जरी है। आयुष्मान योजना के तहत मरीज को नि:शुल्क उपचार हुआ है। सर्जरी के बाद मरीज के स्वास्थ्य में लगातार सुधार हो रहा है। एक-दो दिन में मरीज को डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।
Home / Jabalpur / सरकारी अस्पतालों में अव्यस्थाएं ही नहीं होतीं, यहां के मेडिकल में पैर की नस काटकर उसे गर्दन और दिमाग की खून की नस से जोड़ दिया