वर्तमान समय में लोगों की सहनशीलता और धैर्य रखने की क्षमता कम होती जा रही है। लोग छोटी-छोटी बातों पर इतने परेशान हो जाते हैं कि उन्हें जीवन को समाप्त कर देना ही सबसे सुगम मार्ग जान पड़ता है। इसी का परिणाम हमें आए दिन आत्महत्या के रूप में दिखाई पड़ता है। किसी बात को लेकर उत्तेजना या अवसाद में आकर सही गलत में निर्णय करना भूल जाते हैं और घर, परिवार सब कुछ बेगाना लगने लगता है। यदि दिमाग पर कोई ऐसी बात जिससे व्यक्ति को परेशानी हो रही है यदि उसका समय रहते हल निकाल ले तो जीवन को समाप्त करने से बच जाएगा।
वर्तमान समय में लोग छोटी सी बात से ही विचलित हो जाते हैं और मरने और मारने पर उतारू हो जाते हैं। समाजशास्त्री डॉ. सीएसएस ठाकुर कहते हैं कि यदि किसी बात से आहत व्यक्ति कुछ देर के लिए उस स्थल से अलग हो जाए और शांतचित्त होकर विचार कर ले तो कोई न कोई सही रास्ता निकल आता है, लेकिन व्यक्ति उस समय इतना उत्तेजित रहता है कि उसे स्वयं या दूसरे द्वारा बताई गई बातें समझ नहीं आती हैं। उसे गलत रास्ता ही सबसे अधिक सुगम लगता है। इसी कारण लोग आवेश में आकर इस अमूल्य जीवन को समाप्त करने से भी नहीं चूकते।