2001 में लगी थी याचिका
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के तत्कालीन सचिव डॉ अरविंद जैन, डॉ ब्रजेश अग्रवाल व प्रीतिंकर दिवाकर (वर्तमान में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज) की ओर से 2001 में यह याचिका दायर की गई थी। इसमें कहा गया था कि जबलपुर मेडिकल कॉलेज में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं। यहां मूलभूत सुविधाओं की कमी है। जबलपुर मेडिकल कॉलेज को चंडीगढ़ के पीजीआई की तर्ज पर विकसित करने का आग्रह किया गया था। याचिका की सुनवाई के दौरान समय-समय पर दिए गए हाईकोर्ट के दिशानिर्देशों के चलते मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कई सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं।
पेश की एक्शन टेकन रिपोर्ट
16 नवम्बर 2021 को सरकार की ओर से प्रस्तुत एक्शन टेकन रिपोर्ट में सर्जरी, मेडिसिन, पीडियाट्रिक्स, सुपर स्पेशलिटी सुविधाओं की जानकारी दी गई। कोर्ट को बताया गया कि मेडिकल कॉलेज में 80 बिस्तरों का रीजनल स्पाइनल इंजुरी सेंटर चल रहा है। यहां न्यूरो सर्जरी, न्यूरोलॉजी कार्डियोलॉजी व न्यूरो रेडियोलॉजी की सुपर स्पेशलिटी सुविधाएं भी हैं। 1983 से कैंसर अस्पताल सचालित है। इसमे 70 बेड हैं। 152 स्वीकृत पदों में से 92 कर्मी कार्यरत हैं। 24 नवम्बर 2021 को हाईकोर्ट ने फिर से ताजा एक्शन टेकन रिपोर्ट मांगी थी। इस पर सरकार की ओर पदस्थ डॉक्टर, पैरामेडिकल व अन्य सुविधाओं की जानकारी देते हुए बताया गया कि अब मेडिकल कॉलेज अस्पताल जबलपुर में पर्याप्त स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं। सुनवाई के बाद कोर्ट ने सरकार की रिपोट्र्स को संज्ञान में लेकर कहा कि अब याचिका का मकसद पूरा हो गया है। यह कहते हुए याचिका निराकृत कर दी गई। राज्य सरकार का पक्ष उपमहाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने रखा।