इसी कड़ी में जिला कार्यक्रम प्रबंधक विजय पांडेय ने शनिवार देर रात प्रसव केंद्र मझौली का आकस्मिक जांच किया। उनके वहां पहुंचते ही हड़कंप मच गया। जांच के दौरान उन्होंने उपस्थिति पंजिका आदि का मुआयना किया। चिकित्सक व नर्सिंग स्टाफ समेत अन्य कर्मचारी उपस्थित मिले। औषधि भंडार कक्ष में प्रसव कार्य में उपयोगी दवाओं का स्टॉक भी जांचा। वैसे फिलहाल प्राप्त जानकारी के मुताबिक सब कुछ दुरुस्त मिला है।
बताया जा रहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित प्रसव केंद्रों से गर्भवती महिलाओं को एल्गिन व मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर किए जाने की शिकायतें सीएमएचओ तक पहुंची थीं। शिकायतकर्ताओं ने बताया था कि गर्भवती महिलाओं के केस में जटिलता बताकर उन्हें रेफर किया जा रहा है। इसमें ऐसी गर्भवती महिलाएं भी हैं जिनका सामान्य प्रसव कराया जा सकता है। ऐसे में सीएमएचओ ने हकीकत का पता लगाने के लिए यह जांच कराई। दरअसल बताया ये भी जा रहा है कि जिले में शिशु एवं मातृ मृत्यु दर की स्थिति चिंताजनक है। ऐसे में सीएमएचओ ने शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई की।
प्रसव केंद्र मझौली का आकस्मिक जांच करने वाले स्वास्थ्य विभाग के जिला कार्यक्रम प्रबंधक डीपीएम पांडेय का कहना है कि सीएमएचओ डॉ. रत्नेश कुरारिया तक शिकायत पहुंच रही थी कि ग्रामीण क्षेत्र के कई प्रसव केंद्रों में रात्रि कालीन प्रसूति सुविधा का लाभ महिलाओं को नहीं मिल पा रहा है। कहीं डॉक्टर नहीं मिलते तो कहीं कर्मचारी ड्यूटी से गायब रहते हैं। प्रसव पीड़ा से कराहते हुए प्रसव केंद्र पहुंचने वाली महिलाओं को बेवजह जिला मुख्यालय स्थित एल्गिन व मेडिकल रेफर कर दिया जाता है। जिले के सभी प्रसव केंद्रों में महिलाओं को 24 घंटे सुविधा का लाभ सुनिश्चित किया जा सके, इसकी मॉनीटरिंग के लिए सीएमएचओ ने रात में औचक निरीक्षण के निर्देश दिए हैं।
बता दें कि एल्गिन व मेडिकल कॉलेज अस्पताल समेत जिले में 32 प्रसव केंद्र हैं। मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त रखने के लिए इन केंद्रों में 24 घंटे प्रसव की सुविधा के लिए आवश्यक इंतजाम किए गए हैं। लेकिन प्रसव पीड़ा से कराहती गर्भवती महिलाओं को प्रसव में जटिलता का भय दर्शा कर उन्हें एल्गिन व मेडिकल अस्पताल जाने के लिए मजबूर कर दिया जाता है। इस स्थिति में प्रसव में होने वाले अनावश्यक विलंब के कारण महिला व गर्भस्थ शिशु का जीवन खतरे में पड़ जाता है।