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जबलपुर

SCAM-टीसीएस का सर्वे फर्जी, उपभोक्ताओं के आंकड़े भी गलत

आरएपीडीआरपी योजना : लाइन लॉस को लेकर बड़ा अंतर

जबलपुरFeb 14, 2018 / 01:22 am

santosh singh

saubhagya yojana electricity connection in rural area narendra modi

saubhagya yojana electricity connection in rural area narendra modi

जबलपुर. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी में 30 हजार से अधिक आबादी वाले शहरों में लागू हुई 600 करोड़ की आरएपीडीआरपी योजना को लेकर नया खुलासा हुआ है। आरएपीडीआरपी के लिए टाउन सर्वे का काम करने वाली टाटा कंसल्टेंसी के आंकड़े झूठे निकल रहे हैं। कम्पनी प्रबंधन की तरफ से कराए जा रहे भौतिक सत्यापन में इस फर्जीवाड़े की पोल उजागर हो रही है। लाइन लॉस को लेकर किए गए दावे में बड़ा अंतर आ रहा है। यहां तक कि उपभोक्ताओं की जानकारी भी फर्जी निकल रही है।

आरएपीडीआरपी के प्रभारी रहे मुख्य महाप्रबंधक अजय शर्मा के कार्यकाल में ही टाटा कंसल्टेंसी को सभी टाउन के सर्वे का दायित्व सौंपा गया था। कम्पनी क्षेत्र अंतर्गत जबलपुर सहित 27 निकायों में हुए आरएपीडीआरपी योजना का उद्देश्य ट्रांसफार्मर लेवल पर लाइन लॉस निकालना था। इसके लिए ट्रांसफार्मरों के साथ ऑटोमेटिक मीटर रीडिंग सिस्टम भी लगाना शामिल था। योजना में ट्रांसफार्मर स्तर पर लाइन लॉस को छह प्रतिशत तक लाना था। आरएपीडीआरपी का जहां भी काम पूरा हो रहा था, वहां टाटा कंसल्टेंसी जीआईएस के माध्यम से सर्वे किया गया था। इसी सर्वे रिपोर्ट के आधार पर आरएपीडीआरपी के काम करने वाली कम्पनियों को भुगतान किया गया था।

 

दक्षता एप से खुली पोल तो क्रॉस चैकिंग

पूर्व कम्पनी द्वारा आरएपीडीआरपी वाले निकायों में दक्षता एप से बिलिंग करायी जा रही है। इसमें ट्रांसफार्मर के टीएंडडी लॉस की गणना के लिए मीटर की रीडिंग ली जाती है। इससे सम्बंधित ट्रांसफार्मर से जुड़ा पूरा ब्यौरा पता चल जाता है। इसी दक्षता ने टाटा कंसल्टेंसी के सर्वे की पोल खोल दी। जिसे लेकर एमडी ने डीई से लेकर चीफ इंजीनियरों को भौतिक सत्यापन में लगाया तो घोटाले की परत दर परत सामने आती जा रही है।

सर्वे में ये जानकारी देनी थी

ट्रांसफार्मरवार लाइन लॉस कितना है

कितनी बिजली ट्रांसफार्मर से सप्लाई की जा रही है

कितनी बिजली उपभोक्ताओं के मीटर में दर्ज हुआ

ये कराए जा रहे भौतिक सत्यापन

चीफ इंजीनियर-दो-दो

अधीक्षण अभियंता-चार-चार

कार्यपालन अभियंता-छह-छह

(ट्रांसफार्मर से जुड़े सभी तरह के ब्यौरे का भौतिक सत्यापन करना)

सर्वे के विपरीत इस तरह दिखा सच

टाटा कंसल्टेंसी ने जिस डीटीआर में तीन उपभोक्ताओं को दिखाया था। उससे जुड़े 31 लोग मिले। तीन पुराने उपभोक्ताओं का कोई ब्यौरा तक नहीं मिला।

कई ट्रांसफार्मर से जितनी बिजली की सप्लाई नहीं हुई, उसके डबल यूनिट बेच देना दर्शाया गया था। भौतिक सत्यापन में पता चला कि ये कई ट्रांसफार्मरों का जोड़ कर सर्वे में दर्शा दिया गया था।

रीवा व सागर सम्भाग में कराए गए भौतिक सत्यापन में इसी तरह के खुलासे हो रहे हैं।

अब तक पूर्व कम्पनी में 300 के लगभग ट्रांसफार्मरों का भौतिक सत्यापन कराया गया, जिसके आंकड़े टाटा कंसल्टेंसी के सर्वे से विपरीत मिले।

 

 

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