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जबलपुर

यहां जमीन से निकल रहा ऐसा पानी, किसी के टूट रहे दांत तो किसी की गल रही हड्डियां

मध्यप्रदेश के भूजल में मानव शरीर को नुकसान पहुंचाने वाली भारी धातु पाई गई है।

जबलपुरJul 02, 2022 / 04:23 pm

Subodh Tripathi

यहां जमीन से निकल रहा ऐसा पानी, किसी के टूट रहे दांत तो किसी की गल रही हड्डियां

यहां जमीन से निकल रहा ऐसा पानी, किसी के टूट रहे दांत तो किसी की गल रही हड्डियां

जबलपुर. मध्यप्रदेश की जमीन से निकले पानी में ऐसी धातु पाई गई है, जिसके कारण मानव शरीर को कई प्रकार से नुकसान हो रहा है, इस पानी के रोजना सेवन करने से लोगों के दांत तो टूट ही रहे हैं, हड्डियां भी कमजोर हो रही है। यह समस्या छिंदवाड़ा या सिंगरौली तक सीमित नहीं है। बल्कि प्रदेश के दो तिहाई से अधिक जिलों के पानी में फ्लोराइड है और एक तिहाई जिले तय मानक से अधिक फ्लोराइड की मौजूदगी के कारण रेड जोन में हैं।

केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय ने भी माना है कि मध्यप्रदेश के भूजल में मानव शरीर को नुकसान पहुंचाने वाली भारी धातु पाई गई है। मंत्रालय के निर्देश पर केंद्रीय भूमि जल बोर्ड ने पानी की गुणवत्ता की मॉनिटरिंग की है। जिसके द्वारा क्षेत्रीय आधार पर तैयार किए गए भूजल गुणवत्ता के डाटा के अनुसार मध्यप्रदेश के 43 जिलों के पानी में फ्लोराइड की मौजूदगी पाई गई है। इनमें 16 से अधिक जिलों के अलग-अलग पॉकेटों में की गई जांच में मानव उपयोग के लिए बीआइएस(भारतीय मानक ब्यूरो)की अनुमत्य मात्रा से अधिक फ्लोराइड पाया गया है। इस समस्या से छुटकारा पाने का तरीका यही है कि प्रभावित जिलों और बसाहटों के लिए शुद्ध पेयजल मुहैया कराया जाए।

भारतीय मानक ब्यूरो ने पानी में 1.5 एमजी प्रतिलीटर से फ्लोराइड की कम मात्रा को अनुमत्य माना है। मध्यप्रदेश के 16 जिलों में फ्लोराइड का स्तर 10 से 100 फीसदी तक ज्यादा पाया गया है। केंद्रीय भूजल बोर्ड की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के छिंदवाड़ा, दतिया, देवास, डिंडौरी, खंडवा, मंदसौर, मुरैना, नीमच, रतलाम, उमरिया, टीकमगढ़, सीहोर, रीवा, सिंगरौली, सतना आदि जिलों में कुओं के पानी की जांच की गई थी, जो अत्यधिक प्रदूषित निकले। जल शक्ति मंत्रालय का भी मानना है कि बीएसआइ की अनुमत्य मात्रा से ज्यादा फ्लोराइड पानी में होने से अनेमिया, डेंटल फ्लोरोसिस(दांत पीले पड़ना और गिरना), स्केलेटल फ्लोरोसिस(हड्डियों का टेढ़ा होना) और नॉन फ्लोरोसिस हो सकता है।

जल जीवन मिशन से आस

विषैले पानी के कारण बड़े संकट से जूझती प्रदेश की बड़ी आबादी के लिए अब जल जीवन मिशन से आस है। जिसके तहत गांवों तक प्राकृतिक जलस्रोतों से साफ पानी पाइपलाइन के जरिए पहुंचाने की तैयारी चल रही है। जल शक्ति मंत्रालय ने प्रदूषित पेयजल वाले क्षेत्रों में 2024 तक साफ पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है।

विषैला पानी गला रहा हड्डियां
छिंदवाड़ा जिले के सिंगोड़ी गांव के निवासियों के लिए पानी जहर बन गया है। फ्लोरोसिस की वजह से कम उम्र में ही दांत गलकर पीले और काले पड़ रहे हैं, गिर भी रहे हैं। हड्डियों में दर्द इतना कि कभी-कभी चीख निकल जाती है। तो सिंगरौली रीजन के गांव के लोगों की हड्डियां टेढ़ी हो रही हैं। यह संकट पानी में फ्लोराइड की अधिक मात्रा होने के कारण पैदा हुआ है।

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पानी के प्रदूषण से शुद्ध करने वाली मशीनें भी हार मानने लगी हैं। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्वनी कुमार दुबे द्वारा जल प्रदूषण को लेकर लगाई गई याचिका पर सुनवाई करते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने जल गुणवत्ता की जांच कराई थी। अत्यधिक प्रदूषण पाए जाने पर एनजीटी ने सिंगरौली रीजन में 14 से अधिक बसाहटों में कोयला व पावर कंपनियों से आरओ प्लांट लगवाए थे। लेकिन वो जवाब दे चुके हैं। ऐसा ही छिंदवाड़ा जिले के सिंगोड़ी में बढ़ती बीमारी को देखते हुए सरकार ने 2014 में वाटर फिल्टर प्लांट लगवाया था, लेकिन यह भी काम का नहीं रह गया।

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