scriptमामला आखिर क्यों हो गया इतना गम्भीर, चार घंटे करनी पड़ी सुनवाई | The Congress and Army have have their own side | Patrika News
जबलपुर

मामला आखिर क्यों हो गया इतना गम्भीर, चार घंटे करनी पड़ी सुनवाई

सैनिक मतदाताओं की शिकायत पर कांग्रेस व सेना ने रक्षा अपना-अपना पक्ष

जबलपुरMay 04, 2019 / 01:43 am

shyam bihari

जबलपुर। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से केंट विधानसभा क्षेत्र में सेना के जवानों पर गलत तरीके से मतदान करने की शिकायत पर शुक्रवार को अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी संदीप यादव के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। कांग्रेस की ओर से तर्क दिया गया कि सेना के जवानों का स्थाई पता नहीं है। वे अस्थाई निवासी हैं और शून्य पते पर उन्होंने मतदान किया है। सेना की ओर से तर्क दिया गया कि निर्वाचन आयोग की गाइड लाइन के अनुसार सैनिकों ने मतदान किया है। जिला निर्वाचन अधिकारी ने भी इस मामले में एक प्रतिवेदन भारत निर्वाचन आयोग के समक्ष दिया है, जिसमें सेना के जवानों के मतदान को नियमानुसार बताया है। अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने इस मामले में सभी पक्षों के तर्क सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।
यह है मामला
कांग्रेस उम्मीदवार विवेक तन्खा ने दिल्ली में गुरुवार को भारत निर्वाचन आयोग के समक्ष शिकायत की थी कि केंट क्षेत्र में लगभग 40 बूथों पर सेना के जवानों ने नियमों के विपरीत मतदान किया है। उन्होंने 35 सौ सैन्य मतदाताओं पर फर्जी तरीके से मतदान करने के आरोप लगाए थे। तर्क दिया था कि सभी सेना के मतदाताओं के घर के पते का उल्लेख नहीं था। शून्य पता दर्ज था। इस आधार पर सेना के जवान मतदान की पात्रता नहीं रखते। तन्खा ने आरोप लगाया था कि सैनिकों ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया था।
इन्होंने रखी बात
कलेक्टर कार्यालय में मामले की सुनवाई के लिए अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी के समक्ष कांग्रेस की ओर से एडवोकेट अशोक गुप्ता, कांग्रेस नेता प्रेम दुबे, आलोक चंसौरिया, केंट बोर्ड उपाध्यक्ष अभिषेक चौकसे और पार्षद किरण ठाकुर ने अपनी बात रखी। कांग्रेस की ओर से तर्क दिया गया था कि नियम है कि जिस बूथ में मतदाता नहीं रहता, वह कैसे मतदान कर सकता है। सेना के जवान वोट करने आए थे, उनका पता शून्य था। ऐसे में प्रत्याशी उन्हें जानता ही नहीं। आम मतदाताओं की तरह उनसे आपसी संवाद नहीं हो पाया। इसी तरह आम मतदाता को मतदान केंद्र तक वाहन में नहीं लाया जा सकता। इस बात को जिला प्रशासन जानता है लेकिन सेना के जवान अपने वाहनों में इकठ्ठा होकर आए। उनका दावा था कि सैनिकों से भाजपा के पक्ष में वोटिंग कराई गई। आरोप है कि एक बटन विशेष को दबाने कहा गया।
नियम से किया सैनिकों ने मतदान
हेड क्वार्टर एमबी एरिया के स्टेशन कमांडर और जम्मू एंड कश्मीर रायफल्स के कमांडेंट ब्रिगेडियर राजेश नेगी ने तर्क दिया कि सैनिकों ने मतदान नियमों के तहत किया। 2014 से नियम बना है जिसमें जवान जहां पोस्टेड हैं वहां वोट कर सकता। या फिर अपने लोकसभा क्षेत्र में भी डाक मतपत्र के जरिए प्रक्रिया पूरी कर सकता है। यहां करीब 2200 जनरल वोटर्स हैं। उन्होंने वोट किया है। बांकी करीब 19 हजार सैनिकों ने ईटीपीबीएस के जरिए अपना मत भेजा है। उनका कहना था कि सैनिक मतदाताओं के नाम नियमों के तहत निर्वाचन कार्यालय ने जोड़े हैं। जहां तक उम्मीदवार से सैन्य मतदाताओं से सम्पर्क की बात है तो वह मीडिया और राष्ट्रीय नेताओं की सभाओं के माध्यम से उनकी जानकारी रखते हैं। उन्होंने एक साथ वाहनों में जवानों के लाने पर कहा कि सैन्य प्रशिक्षण संस्थानों के प्रशिक्षणरत जवानों को साइकिल से बाहर जाना भी मना है। इसलिए उन्हें अपने वाहनों से भेजा।
दोनों पक्षों की सुनवाई
अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी मध्यप्रदेश संदीप यादव ने कहा कि केंट क्षेत्र में मतदान की प्रक्रिया पर शिकायत मिली थी। उसकी जांच की जा रही है। सभी पक्षों के तर्क सुने गए हैं।
गाइड लाइन के अनुसार जोड़े नाम
जिला निर्वाचन अधिकारी छवि भारद्वाज का कहना है कि भारत निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन के अनुरूप सेना के जवानों के नाम जोड़े गए है। इसका अवलोकन भी किया था। जो शिकायत की गई है, उसके कोई प्रमाणिक आधार नहीं है। इन तमाम चीजों से जुड़ा प्रतिवेदन आयोग को भेजा गया है।

Home / Jabalpur / मामला आखिर क्यों हो गया इतना गम्भीर, चार घंटे करनी पड़ी सुनवाई

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो