देश में सबसे अधिक ग्रीन एनर्जी उत्पादन में प्रदेश ने बाजी मारी है। प्रदेश में 58 सौ मेगावाट ग्रीन एनर्जी उत्पादन में प्रदेश की हिस्सेदारी 1400 मेगावाट के लगभग है।
जबलपुर. देश में सबसे अधिक ग्रीन एनर्जी उत्पादन में प्रदेश ने बाजी मारी है। प्रदेश में 58 सौ मेगावाट ग्रीन एनर्जी उत्पादन में प्रदेश की हिस्सेदारी 1400 मेगावाट के लगभग है। दूसरे नंबर पर तमिलनाडु और तीसरे पर आंध्रपदेश शामिल है। अगले तीन वर्ष में मध्य प्रदेश में 4100 मेगावाट का उत्पादन शुरू हो जाएगा। इसमें सबसे अधिक पवन ऊर्जा से 2000 और सौर ऊर्जा से 1900 मेगावाट का उत्पादन शामिल है। इसके साथ ही ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर बनाने में भी प्रदेश सबसे आगे है। 2100 करोड़ रुपए की लागत से 400 केवी के तीन और 220 केवी के सात सब स्टेशन बनाने पर काम चल रहा है।
रीवा में तेजी से काम
रीवा में विश्व की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा परियोजना पर काम तेजी से चल रहा है। इसकी क्षमता हजार मेगावाट की है। इस अल्ट्रा मेगा सौर परियोजना को जून 2017 तक चालू करने का लक्ष्य है। इसके अलावा अन्य शहरों में भी अलग-अलग क्षमता वाले सौर ऊर्जा के प्रस्ताव पर काम चल रहा है। अगले पांच साल में कुल 2588 मेगावाट सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन होगा। वहीं इंदौर, रतलाम आदि क्षेत्रों में पवन विद्युत परियोजना पर काम चल रहा है। अगले पांच साल में पवन से 2704 मेगावाट बिजली का उत्पादन पर काम चल रहा है।
4700 करोड़ से बन रहा ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर
देश में सबसे पहले प्रदेश में ग्रीन इनर्जी कॉरिडोर बनाने का काम शुरू किया गया है। अभी थर्मल पर जल विद्युत परियोजना के लिए बने कॉरिडोर में ही ग्रीन इनर्जी की भी सप्लाई की जाती थी। अब इसकी पूरी व्यवस्था अलग होगी। इसके लिए 4700 करोड़ की परियोजना तैयार की गई है। पहले चरण के लिए जर्मनी के केएफडब्ल्यू बैंक से 840 करोड़, इनसीईएफ नेशनल क्लीन एनर्जी फंडे से 840 करोड़ और प्रदेश सरकार द्वारा 420 करोड़ का अंशदान दे रही है।
कवायद चल रही है
ग्रीन एनर्जी को लेकर सबसे बड़ा प्रोजेक्ट रीवा में चल रहा है। जून 2017 में इसके पूरा होने की उम्मीद है। इसके अलावा प्रदेश के चारों बड़े शहरों जबलपुर, भोपाल, इंदौर और ग्वालियर में 220-220 मेगावाट सोलर प्रोजेक्ट की कवायद चल रही है।
रवि सेठी, एमडी, मप्र पावर ट्रांसमिशन कंपनी