उपनिषद ने बताया कि उन्हें दुनिया में फैल रहे कोरोना की जानकारी थी। फ्लाइट से लंदन से मुम्बई पहुंचा, तो एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग हुई। कुछ नहीं मिला, तो जाने दिया गया। साथ में सरकार की गाइडलाइन दी गई। उसे तुरंत पढ़ा। घर पहुंचने से पहले फोन करके बता दिया कि क्वारंटाइन रहूंगा। फोन पर ही मां को अन्य एहतियात की जानकारी दी। हमारे क्वार्टर की बनावट इस तरह है कि मेरे रूम का दरवाजा बाहर खुलता है। गाइडलाइन के मुताबिक सेपरेट एंट्रेंस है। सरकार के निर्देश के अनुसार सेनेटाइजेशन और हाईजीन फॉलो किया। मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों ने पूरा ध्यान रखा। स्वस्थ होकर घर लौट आया।
मां से भी डिस्टेंस रखा
उपनिषद का कहना है कि जबलपुर पहुंचा, तो मां दुलारना चाहती थीं। लेकिन, मैंने डिस्टेंस रखा। मां को समझाया, यह इमोशन दिखाने का समय नहीं है। जबलपुर आया, तो बिल्कुल स्वस्थ था। खुद ही प्रशासन को जानकारी दी। 18 मार्च को बुखार आने पर डॉक्टर को फोन किया। इस दौरान सिर में दर्द हुआ। मम्मी ने कहा सिर दबा देती हूं तो मना कर दिया। धैर्य रखा। आखिर में यही कहूंगा, सब संयम रखें।
बकौल उपनिषद, स्विटजरलैंड से रवाना होने से पहले बैग में ग्लव्स और मास्क रख लिया। यूके में एक डॉक्टर ने कहा था, अब हर व्यक्ति में वायरस है। लाइफ स्टाइल ऐसी रखें जिससेसंक्रमण न हो। लंदन-मुम्बई-जबलपुर फ्लाइट के सफर में पूरे समय एन-95 मास्क पहने रहा। सेनेटाइजर से बार-बार हाथ धोता रहा। मुम्बई एयरपोर्ट पर उतरते ही कपड़े बदल लिए। घर में क्वारंटाइन रहा। मां रोज धुले कपड़े रख देती थी। उतारे गए कपड़ों को गर्म पानी पानी में रखता, फिर वॉशिंग मशीन में धोया जाता था। जिस बर्तन में खाना खाता, उसे धोने से पहले ब्लीच मिले पानी में रखता था। घर पर पूरे समय समय मास्क पहने रहा। मास्क उतारने पर ब्लीच मिले पानी में रखने के बाद वॉशिंग मशीन से धोया जाता था। यह सब गाइडलाइन के मुताबिक था। कई दिन अकेला रहा। एहतियातन अभी भी क्वारंटाइन रहना है। आखिर में बस यहीं कहूंगा, हिम्मत से मुकाबला करें। सकारात्मक विचार रखें। सरकार के निर्देश और डॉक्टर की सलाह मानें। यही संक्रमण से बचाने में आपकी मदद करेंगे।