मंदिर के रुके काम को आगे बढ़ाने में श्रंगेरी पीठ के शंकराचार्य जगद्गुरु अभिनव विद्यातीर्थ ने मदद की। उन्होंने निर्माणाधीन मंदिर का अवलोकन करने के बाद चिदंबरम नाम के कारीगर को भेजा जिसने मंदिर का निर्माण पूरा कराया। मंदिर का निर्माण राजस्थानी स्थापत्य शैली में शुरू हुआ और दक्षिण भारत की मंदिर निर्माण शैली में पूरा हुआ।
त्रिपुर सुंदरी माई के मंदिर के पीछे बने एक और मंदिर में माई की सेनापति वाराही, मातंगी सहित अन्य देवियों की श्यामवर्ण मूर्तियां हैं यहां आद? गुरु ?? शंकराचार्य की भी मूर्ति है इसके अलावा श्रीगणेश की दसभुजी दुर्लभ मूर्ति है जिनकी गोद में शक्ति का वास दिखाया गया है। यहां कुल ८५ मूर्तियां विराजमान हैं। वैसे तो वर्ष भर यहां श्रद्धालु आते हंै पर नवरात्र पर दूर दूर से लोग दर्शन के लिए आते हैं। परमहंसी आश्रम में सिद्धेश्वर मंदिर को विशेष सिद्ध स्थान माना जाता है। बताया जाता है कि सघन वन के बीच स्थित यह देव स्थान तपस्वियों की तपोस्थली रही है।