ऐसे में हालत कैसे सुधरेगी? इसका जवाब आम जनता नेताओं से पूछ रही है। ऐसे में लोगों का कहना है कि समय आ गया है कि नेताओं को अब अपनी जिम्मेदारी का अहसास करना चाहिए। उन्हें अपने अधिकारों का आभास होना चािहए। तभी लोगों को भरोसा होगा कि वे लावारिस नहीं हैं। वरना, अफसरों ने तो पूरा इंतजाम कर दिया है कि इस बार की बारिश में सैकड़ों गड्ढे जाने कितने हादसों का कारण बनेंगे। जलप्लावन तो थोड़ी सी बारिश में ऐसा हो जाता है कि सड़कें नालों के रूप में बदल जाती हैं। उस दौरान सड़कों के किनारे मुंह बाए गड्ढे किसी हादसों का कारण बनते हैं, तो अफसर ही होंगे उसके असल जिम्मेदार। जबकि, फिलहाल तो नेताओं का कहना है कि वे निगम चुनावों को इंतजार कर रहे हैं। अभी तो प्रशासक का शासन है। वे अपनी मर्जी से काम कर रहे हैं। उन पर किसी का दबाव कहां काम करता है?