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जबलपुर

लोकसभा चुनाव से पहले उठी ये बड़ी मांग, प्रदेश की राजनीति में मची खलबली

पत्रिका टॉक शो : व्यापारियों ने बुलंद की आवाज, बोले- सिहोरा के जिला बनने से ही विकास को लगेंगे पंख

जबलपुरMar 16, 2019 / 08:24 pm

abhishek dixit

Sihora

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सिहोरा. लोकसभा चुनाव की घोषणा और जबलपुर लोकसभा के लिए 29 अप्रैल को होने वाले मतदान को लेकर जबलपुर लोकसभा की आठ विधानसभाओं में एक सिहोरा में लोकसभा प्रत्याशी, सिहोरा के विकास और मुद्दों को लेकर जनचर्चा शुरू हो गई है।

खितौला, बस स्टैंड में पत्रिका के टॉक शो में शामिल व्यापारियों ने कहा कि सिहोरा का व्यापार ठप हो गया है। सिहोरा जिला ही नगर के व्यापार को नया जीवन दे सकता है। कभी प्रदेश में सबसे बड़ी तहसील का गौरव प्राप्त सिहोरा में सिहोरा सहित मझौली, बहोरीबंद, ढीमरखेड़ा ब्लॉक शामिल थे। मध्यप्रदेश की स्थापना के पहले 1952 में बने सिहोरा सब डिवीजन में आइएएस ट्रेनिंग सेंटर की पहचान पूरे प्रदेश में थी। बीड़ी कुटीर उद्योग, सिंघाड़ा की खेती देश में विख्यात थी।

वर्ष 1998 में कटनी जिला बनने से बहोरीबंद ढीमरखेड़ा के उसमें शामिल होने से सिहोरा का व्यापार कम होने की शुरुआत हो गई। विखंडन का अभिशाप यहीं नहीं थमा विकासखंड जाने के बाद मध्यप्रदेश विद्युत मंडल, न्यायालय, कृषि उपज मंडी का विखंडन हुआ।
अमोल चौरसिया, व्यापारी

विखंडन से कभी सिहोरा के अभिन्न अंग रहे बहोरीबंद, ढीमरखेड़ा के आमजनों का सिहोरा आना-जाना बंद हो गया, इससे सिहोरा का व्यापार दिनोंदिन पतन की गर्त में पहुंच गया।
संदीप ब्यौहार, व्यापारी

एक अक्टूबर 2011 को प्रदेश की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने कैबिनेट की बैठक में सिहोरा को जिला का दर्जा जरूर दिया, लेकिन चुनावी आचार संहिता के चलते कलेक्टर की पदस्थापना नहीं हो सकी। जिला नहीं बनने से सिहोरा का व्यापार पूरी तरह ठप हो गया है।
सुशील सरावगी, व्यापारी

प्रदेश की सत्ता में रही भाजपा सरकार बीते 15 साल के कार्यकाल में सिहोरा में कलेक्टर की पदस्थापना नहीं कर सकी, यही कारण है कि सिहोरा में व्यापार और उद्योग धंधे का नामोनिशान नहीं है।
अनिल कारडा, व्यापारी

सिहोरा में रोजगार का कोई साधन उपलब्ध नहीं है। भाजपा शासनकाल में शुरू हुआ हरगढ़ औद्योगिक क्षेत्र की सभी औद्योगिक इकाई बंद हो गई हैं। नगर का युवा, आमजन काम की तलाश में पलायन करने के लिए मजबूर है।
विनोद गुप्ता, व्यापारी

सिहोरा कृषि प्रधान क्षेत्र है। कृषि उपज मंडी में कटनी जिले में शामिल ढीमरखेड़ा, बहोरीबंद के किसान उपज बेचने सिहोरा आते थे। मंडी का विखंडन होने और ढीमरखेड़ा, बहोरीबंद के कटनी में शामिल होने से किसानों का सिहोरा आना बंद हो गया है।
अरुण पटेल, व्यापारी

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