-79 वार्ड
……..
यहां ज्यादा जरूरत –
डुमना, ककरतला, मझगंवा,आधारताल, मड़ई, मानेगांव, गढ़ा, देवताल, बिलपुरवा, नयावार्ड, पहाड़ी क्षेत्र, लोधी मोहल्ला, 90 क्वॉटर, सुदामा नगर, माली मोहल्ला, केजी बोस नगर आदि।
यहां ज्यादा खपत-
संजय गाधी वार्ड, मदनमोहन मालवीय वार्ड, आधारताल वार्ड, असफाक उल्ला खां वार्ड, चंद्रशेखखर वार्ड, मोतीलाल नेहरू वार्ड, सुभाष वार्ड आदि
स्मार्ट सिटी में टैंकरों से पानी की सप्लाई क्यों। जब शहर स्मार्ट हो गया तो फिर टैंकरों से शहर के अंदर जगह-जगह पानी क्यों भिजवाया जा रहा है। कुछ ऐसे ही सवालों के घेरे में आए जबलपुर स्मार्ट सिटी में सरकार ने प्राइवेट टैंकरों से जलापूर्ति पर रोक लगा दी गई। वहीं दूसरी एक बड़ी वजह प्राइवेट टैंकर के नाम पर हो रहे फर्जीवाड़ा को रोकना भी है। पिछले वर्ष तक निगम द्वारा करीब आधा सैकड़ा प्राइवेट टैंकरों के माध्यम से जलापूर्ति की जा रही थी लेकिन इस बार निगम के अपने खुद के टैंकरों के सहारे व्यवस्था पूरी करनी पड़ रही है। टैंकरों को जलसंकट ग्रस्त क्षेत्रों में लगाया जाना चाहिए लेकिन राजनैतिक दबाव और रसूख के चलते अनेक टैंकर ऐसे इलाकों में दौड़ रहे हैं जहां पर्याप्त पानी उपलब्ध है।
टैंकरों में हो रही थी लूट खसोट
जानकारों का कहना है कि टैंकर लगाने में फर्जीवाड़ा हो रहा था। जिससे सरकार के खजाने को चोट पहुंच रही थी। रसूख के चलते कई जनप्रतिनिधियों द्वारा छदम नाम से प्राइवेट टैंकर चलाए जा रहे थे लेकिन जमीन पर यह कहीं नजर नहीं आ रहे थे। क्षेत्र में जबरिया जलसंकट पैदा किया जाता था। पार्षद टैंकर दौडऩे का सर्टिफिकेट देकर राशि का बंदरबाट कर रहे थे। एक टैंकर चलाने के एवज में 35 हजार रुपए की राशि निगम से मिलती है। कई नगर निगमों में इस तरह की शिकायतें मिलने के बाद इस व्यवस्था पर रोक लगा दी गई।
रसूखदारों के इशारे पर दौड़ते हैं टैंकर
पानी के टैंकरों की व्यवस्था उन क्षेत्रों के लिए की गई है जहां उंचाई पर रहवासी एरिया है। जहां न तो पानी की पाईपलाइन ही गई है न ही बोरिंग से पानी निकलता है। लेकिन ऐसे क्षेत्रों में टैंकर रसूखदारों के फोन और इशारे पर टैंकर शहर के अंदर दौड़ रहे हैं। वास्तविक गरीब बस्तियों में बमुश्किल पानी मिल पा रहा है। कई वार्ड तो ऐसे हैं कई पानी की टंकियों से जुड़े हैं लेकिन इसके बाद भी वहां जलसंकट के बहाने टैंकर पहुंच रहे हैं। इसका साफ इशारा है कि यह पानी कहां खप रहा है।
36 टैंकर लगा रहे 170 ट्रिप
नगर निगम के खुद के 36 टैंकर हैं। इन टैंकरों को शहर के चारों और दौड़ाया जा रहा है। जलसंकट ग्रस्त क्षेत्रों में इन टैंकरों के माध्यम से करीब 170 ट्रिप पानी रोजाना भेजा जा रहा है। करीब 7.5 लाख लीटर पानी सिर्फ टैंकरों के माध्यम से नगर निगम आपूर्ति कर रहा है। करीब आधा सैकड़ा क्षेत्रों में पानी की समस्या निर्मित होने की बात कहकर टैंकर दौड़ रहे हैं।
नेता जीते, टैंकर बंद
विधानसभा चुनाव को देख नेताओं ने अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में नि:शुल्क टैंकर लगाए गए। नेता विधानसभा चुनाव जीत गए और टेंकर भी वापस हो गए। ऐसे करीब 25 टैंकर विभिन्न विधानसभाओं में लगे थे। जब गर्मी आई तो नेताओं ने आचार संहिता का हवाला देकर हाथ खींच लिए। निगम के कर्मचारियों ने दलील दी कि टैंकर से नाम, लोगो हटाकर गरीब जनता की मदद की जा सकती है लेकिन नेताओं को यह बात हजम नहीं हुई।
तीन टंकियां, घर-घर नल फिर भी इतने टैंकर
निगम द्वारा की जा रही टैंकरों से जलापूर्ति एक वार्ड में चर्चा का विषय बनी है। मदनमोहन मालवीय वार्ड फूटाताल, विक्टोरिया, तिलकभूमि तलैया, भवंरताल टंकियों से घिरा है। वार्ड में करीब 12 हजार की आबादी है। शहरी क्षेत्र के अंदर यह वार्ड है और हर घर में नल कनेक्शन भी है। लेकिन इसके बाद भी यहां पूरे शहर से सबसे ज्यादा 15 ट्रिप पानी रोज वर्जन
-शहर में जलसंकट की इतनी गंभीर स्थिति नहीं है। भले ही प्राइवेट टैंकर बंद हो गए हों लेकिन हमारे निगम के टैंकरों से जलापूर्ति की जा रही है। यदि जरूरत पड़ी तो हम हायर भी करेंगे। पानी के वार्डों में वितरण की जानकारी ली जाएगी।
-चंद्रमौलि शुक्ल, कमिश्नर नगर निगम