24 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

छह राज्यों में है इस वन्यजीव का आतंक, प्रदेश की ये यूनिवर्सिटी करेगी कंट्रोल

वन विभाग नहीं हो सका सफल, दिल्ली की टीम मिलकर करेगी बायोटैक्निक पर काम

2 min read
Google source verification
nilgay

NILGAI

जबलपुर। देश के पांच राज्यों में खेतों में कहर बरपा रहीं नील गायों को नियंत्रित करने में वन विभाग के असफल होने और प्रक्रिया खर्चीली होने के चलते अब इसकी जिम्मेदारी वेटरनरी विश्वविद्यालय और दिल्ली के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूलॉजी को सौंपी गई है। दोनों टीमों के विशेषज्ञ नील गायों की वंश वृद्धि रोकेंगे।
नेशनल क्राप डिपवलपमेंट प्रोग्राम के तहत वीयू को चयनित किया गया है। वीयू के आधुनिक लैब, कुशल टीम, वैज्ञानिक होने के चलते इसका चयन किया गया है। इस काम में फारेंसिक साइंस गांधीनगर विवि के साइंटिस्ट डॉ. अमित गोयल को भी शामिल किया गया है।

कटरा सेप्टरा सेप्टिक वैक्सीन होगी तैयारी
वेटरनरी विवि और दिल्ली की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूलॉजी के विशेषज्ञ ऐसी कटरा सेप्टरा सेप्टिक वैक्सीन तैयार करेंगे जो नील गाय की वंश वृद्धि को रोकने में मदद करेगी। मेल और फीमेल दोनों के लिए यह वैक्सीन अलग-अलग तैयार की जाएगी। फीमेल में ओवम तैयार नहीं हो सकेगा तो वहीं मेल का स्पर्म निष्प्रभावी होगा। इस प्रोजेक्ट में करीब 3.5 करोड़ रुपए खर्च होंगे। यह राशि एग्रीकल्चर मिनिस्ट्री प्रदान करेगी।

ये प्रदेश हैं प्रभावित
मप्र के अलावा हरियाणा, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, बिहार और गुजरात क्षेत्र भी शामिल है। प्रदेश के ग्वालियर, भिंड, मंदसौर, नीमच आदि क्षेत्रों में नील गायों से फसलों को नुकसान पहुंचा है।

बेहद तेज और चालाक
नील गाय को पकडऩा आसान नहीं है। यह चीते की तरह तेज और चालाक होती हैं। नीलगायों को पकडऩे और अभ्यारण्यों में स्थानांतरित करने के प्रयास असफल हुए। कुछ राज्यों में नील गायों को मारने की अनुमति किसानों ने मांगी है।

चंद गायों को पकडऩे में 42 लाख खर्च
मंदसौर जिले में एक वर्ष पूर्व वन विभाग ने 27 नल गायों को पकड़ा। जिन्हें गांधी सागर अभ्यारण्य भेजा गया। इस पूरी कवायद में 42 लाख रुपए से अधिक खर्च हो गए।

यह है स्थिति
15 लाख की आबादी भारत में
01 लाख की आबादी प्रदेश में
120 से 250 किलो वजनी
21 वर्ष औसत आयु
04 से 6 फीट ऊंचाई
02 से 3 बच्चे एक साथ जन्म

कई राज्यों में फसलों के लिए नील गाय चुनौती बन गई है। इसे कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा है। हम ऐसी वैक्सीन बनाएंगे जहां बर्थ पापुलेशन को कम करेगी। वीयू के प्रोजेक्ट को कृषि मंत्रालय ने अनुमति प्रदान कर दी है।
डॉ. पीडी जुयाल, कुलपति वेटरनरी विवि