रांझी निवासी शासकीय कर्मी आरके गुप्ता ने परिवाद दायर कर कहा कि उसकी दांयी दाढ़ में दर्द था। इसके इलाज के लिए वह २८ सितंबर २०१२ को रांझी स्थित डॉ यासिस अरोरा के डेंटल केयर क्लीनिक गया। इलाज के बाद उसका दर्द ठीक हो गया। उसे बायीं दाढ़ के रुटकैनाल के लिए १२ अक्टूबर को बुलाया गया। डॉ अरोरा ने अपने साथी डॉ अग्रवाल के साथ उसकी बांयी दाढ़ के साथ बगल का एक दांत भी निकाल लिया। इसके लिए उससे पांच हजार रुपए फीस ली गई। दर्द होने पर डॉक्टर ने उसे दवाएं दे दीं। दूसरे दिन दर्द अधिक होने पर वह फि र क्लीनिक गया तो उसे दवाओं से दर्द ठीक होने की बात कहकर टाल दिया गया।
दवाओं से दर्द ठीक नहीं हुआ तो मजबूरी में उसने जबलपुर अस्पताल में चेकअप कराया। तब उसे पता चला कि उसका जबड़ा टूट गया है। इसका इलाज कराने में उसका करीब ६० हजार रुपए खर्च हुआ। अधिवक्ता अरुण जैन, विक्रम जैन ने तर्क दिया कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत अनावेदक डॉक्टर का यह कृत्य अनुचित व्यापार प्रथा के तहत आता है। तर्क से सहमत होकर कोर्ट ने अनावेदक डॉक्टर को परिवादी के इलाज का खर्च और हर्जाना चुकाने का आदेश दिया।